'भौंके सभी, लेकिन काटा किसी ने नहीं' क्‍वॉड बैठक पर चीनी मीडिया ने कसा तंज

'भौंके सभी, लेकिन काटा किसी ने नहीं' क्‍वॉड बैठक पर चीनी मीडिया ने कसा तंज
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पेइचिंग
एशिया में चीन से बढ़ते खतरों से निपटने के लिए मंगलवार को जापान की राजधानी टोक्यो में द क्वॉड्रिलैटरल सिक्‍यॉरिटी डायलॉग (क्‍वॉड) की दूसरी बैठक हुई। इस बैठक पर चीन समेत पूरी दुनिया नजरें बनाए हुए थी। अमेरिका, भारत, जापान और ऑस्ट्रेलिया के विदेश मंत्रियों की बैठक जैसे ही खत्म हुई वैसे ही चीन की सरकारी मीडिया ने इसके खिलाफ अपना प्रोपेगेंडा वॉर शुरू कर दिया। ग्लोबल टाइम्स ने अपनी खबर की हेडलाइन देते हुए लिखा कि इस बैठक में सभी ‘भौंकते नजर आए’ लेकिन किसी ने ‘काटा नहीं’।

अमेरिका ने चीन पर साधा निशाना
ग्लोबल टाइम्स ने अपने संपादकीय में क्‍वॉड की दूसरी बैठक को विफल बताते हुए जमकर निशाना साधा। उसने लिखा कि टोक्यो में मंगलवार को तथाकथित क्‍वॉड देशों की बैठक के बावजूद कोई संयुक्त बयान जारी नहीं किया गया। बैठक के दौरान अमेरिकी विदेश मंत्री माइक पोम्पियो ने कहा कि दक्षिण और पूर्वी चीन सागर, मेकांग, हिमालयी क्षेत्र और ताइवान की खाड़ी में कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ चाइना के शोषण, ज़बरदस्ती और भ्रष्टाचार का मुकाबला करने के लिए यह महत्वपूर्ण समय है। हालांकि क्‍वॉड के सदस्य देश उनकी बातों से सतर्क रहे।

ऑस्ट्रेलिया और जापान ने नहीं लिया चीन का नाम
चीनी मीडिया ने क्‍वॉड बैठक को फेल बताते हुए कहा कि इस बैठक से इतर पोम्पियो के साथ अलग-अलग द्विपक्षीय वार्ता के दौरान ऑस्ट्रेलियाई और जापानी विदेश मंत्रियों मारिज पायने और तोशिमित्सु मोतेगी ने अपने भाषणों में चीन का उल्लेख नहीं किया। इसे लेकर तर्क दिया जा सकता है कि चीन का नाम न लेने की आशा पहले से ही की जा रही थी। क्योंकि, क्‍वॉड का प्रत्येक सदस्य अपने स्वयं के अलग-अलग हितों के अनुसार इसमें बाते रख रहा है।

भारत के ताकत से चीन को दबाना चाहता है अमेरिका
अमेरिका पर हमला बोलते हुए ग्लोबल टाइम्स ने लिखा का कि यूएस का जापान और ऑस्ट्रेलिया के साथ पहले से ही सैन्य समझौता है। अब उसकी चाहत एशिया में भारत के साथ सैन्य गठजोड़ करने की है। वह भारत को इस गठजोड़ का हिस्सा बनाकर चीन को कसने के लिए रस्सी बनाना चाहता है। हालांकि इस तरह के लक्ष्य को पाना किसी भी देश के लिए आसान नहीं है।

भारत को खुद की ताकत से ज्यादा आत्मविश्वास
ग्लोबल टाइम्स ने आशा जताई कि भारत कभी भी अमेरिका का पक्ष नहीं लेगा। शीत युद्ध के बाद से ही वह भारत को अपने पक्ष में करने के लिए लालच दे रहा है। भारत एक ऐसा देश है जो अपनी वास्तविक ताकत की तुलना में अधिक आत्मविश्वास रखता है। भारत अपने जनमानस में मजबूत राष्ट्रवाद के साथ एक महाशक्ति बनने की इच्छा रखता है। इसलिए उसके अमेरिका की धुन पर नाचने का कोई इरादा नहीं है।

जापान को चीन की जरूरत
जापान लंबे समय से एक सामान्य राज्य और एक प्रमुख शक्ति बनने की कोशिश कर रहा है। ऐतिहासिक रूप से जापान हमेशा से अपनी कूटनीति शक्तिशाली देशों का अनुशरण करता रहा है। फिर भी जापान अपनी नीतियों के लिए अमेरिका का पिछलग्गु नहीं बनेगा और अपनी नीतियों के लिए कुछ जगह छोड़ देगा। इसके अलावा जापान को एक सामान्य राष्ट्र बनने और प्रमुख शक्ति का दर्जा पाने के लिए चीन के समर्थन की आवश्यकता है।

ऑस्ट्रेलिया को गंभीर परिणाम भुगतने की धमकी
ग्लोबल टाइम्स ने ऑस्ट्रेलिया को खुलेआम धमकी भी दी। चीनी मीडिया ने कहा कि ऑस्ट्रेलिया अमेरिकी सरकार का वफादार अनुयायी लगता है। यह क्वाड गठबंधन को बढ़ावा देकर अपनी खुद की वैश्विक स्थिति को बढ़ावा देना चाहता है। लेकिन ऑस्ट्रेलिया अपनी सीमित अर्थव्यवस्था और जनसंख्या के साथ कितनी ताकत रखता है? इसके अलावा अगर कैनबरा चीन को बदनाम करने पर आमादा है, तो इसके लिए उसे गंभीर परिणाम भुगतने होंगे।

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