लद्दाख में भारत-चीन को गोली नहीं, ठंड से लड़नी होगी पहली जंग

लद्दाख में भारत-चीन को गोली नहीं, ठंड से लड़नी होगी पहली जंग
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पेइचिंग
लद्दाख के ऊंचाई वाले इलाकों में पिछले चार महीनों से जारी तनाव समय बीतने के साथ और गहराता जा रहा है। इस दुर्गम इलाके में चीन पर बढ़त बनाने के लिए लगातार कॉम्बेट पेट्रोलिंग कर रही है। सितंबर की शुरुआत होते ही इस इलाके में अब ठंड भी बढ़नी शुरू हो गई है, लेकिन चीन के नापाक हरकतों पर नजर रखने के लिए भारतीय फौज ऊंचे सैन्य ठिकानों पर कब्जा बनाए रखेगी। विशेषज्ञों के अनुसार, यह तनाव अगले कुठ महीनों तक जारी रहेगा, इसलिए भारतीय फौज अपनी सेना को सुरक्षित रखने के लिए जरूरी साजो-सामान भी जुटा रही है।

भारत के पास सियाचीन का अनुभव
लद्दाख की भीषण ठंड को झेलने के लिए भारतीय सेना कई तरह के इक्यूपमेंट का इस्तेमाल करेगी। इनमें से अधिकतर सामानों का प्रयोग सियाचीन जैसे दुनिया के सबसे ऊंचे युद्धक्षेत्र में पहले से भारतीय फौज करती आई है। ऐसे में भारतीय फौज के सामने चीनी फौज कितने दिनों तक टिकेगी, यह देखने वाली बात होगी। चीनी विदेश मंत्रालय पहले ही ठंड के दिनों में अपनी सेना को वापस बुलाए जाने की बात कर चुका है। उसको डर है कि अगर इतनी ठंड में उसके नौसिखिए सैनिक रहे तो वो भारत की गोली से नहीं बल्कि वहां के मौसम की मार से पहले ही मर जाएंगे।

ठंड से बचाएगी आर्कटिक टेंट
भारतीय सेना को इतनी ऊंचाई पर ठंड से बचने के लिए आर्कटिक टेंट की जरूरत होगी। यह टेंट -50 डिग्री तक के तापमान को भी झेल सकता है। ऊंचाई पर चलने वाली तेज हवाओं का भी इन टेंट्स पर कोई असर नहीं होता है। वेपेक्स नाम के मटेरियल से बने इन टेंट में बाहर की बारिश या बर्फबारी का कोई असर नहीं होता है। इसकी डिजाइन ऐसी होती है कि अंदर रह रहे लोगों को सांस लेने में कोई परेशानी नहीं होती है।

टेंट को गर्म करेगा स्पेस हीटिंग डिवाइस
इस डिवाइस का इस्तेमाल भीषण ठंड में किसी छोटी सी जगह को गर्म रखने में किया जाता है। भारतीय सेना इस डिवाइस का इस्तेमाल लद्दाख के ठंड से बचने के लिए कर सकती है। इससे टेंट को गर्म करने में मदद मिलेगी। यह प्राकृतिक गैस, प्रोपेन, मिट्टी के तेल या इलेक्ट्रिसिटी से गर्मी पैदा करती है। इनसे कार्बन मोनो ऑक्साइड के बनने का भी खतरा होता है। जिसे दूर करने के लिए समय समय पर कैंप को थोड़ी देर के लिए खोलना होता है।

थर्मल इमेजर से दुश्मनों पर होगी नजर
रात के घुप अंधेरे में दुश्मनों की हरकत पर नजर रखने के लिए सेना थर्मल इमेजर का भी प्रयोग कर सकती है। यह शरीर से निकल रही गर्मी के आधार पर सूचना देता है। जब चीन जैसा दुश्मन हो तो हथियार का हाईटेक होना भी बहुत जरूरी है। इनमें कई तरह की खूबियां होती हैं। दिन में यह कैमरे की तरह भी काम कर सकती है। इससे वीडियो और फोटोज भी लिए जा सकते हैं। इसकी रेंज 5 किलोमीटर के आसपास होती है।

एंटी मैटेरियल रायफल से नहीं बचेगा चीन
इतनी अधिक ऊंचाई पर ठंड के दिनों में रायफल के जाम होने की भी कई बार शिकायतें मिलती हैं। ऐसे में एंटी मैटेरियल रायफल दिन और रात दोनों समय दूर तक दुश्मन पर निशाना लगाने में मददगार होगा। इसकी रेंज 1000 मीटर से 2000 मीटर तक होती है। यह 12.7 एमएम की बुलेट फायर कर सकती है। नाइट साइट लगे होने के कारण इन रायफलों से रात में भी सटीक निशाना लगाया जा सकता है।

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