सामाजिक संस्थाओं की बैठक में जनप्रतिनिधियों की उपेक्षा कर प्रदेश सरकार ने यह एक ग़लत परंपरा की शुरुआत की : भाजपा

सामाजिक संस्थाओं की बैठक में जनप्रतिनिधियों की उपेक्षा कर प्रदेश सरकार ने यह एक ग़लत परंपरा की शुरुआत की : भाजपा
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रायपुर। भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता और पूर्व मंत्री राजेश मूणत ने कोरोना संकट के मद्देनज़र सामाजिक संस्थाओं की आहूत बैठक में प्रभारी मंत्री व विधायकों को दूर रख राज्य सरकार के एक सलाहकार की नुमाइंदगी पर कड़ा एतराज़ जताया है। श्री मूणत ने कहा कि प्रदेश सरकार ने यह एक ग़लत परंपरा की शुरुआत की है। मूणत ने सवाल किया कि प्रदेशभर में कार्यरत सामाजिक संस्थाओं को प्रेरित करने के लिए सरकार का जनप्रतिनिधियों के बजाय एक सलाहकार पर ही ज़्यादा भरोसा करना कहाँ तक उचित है?

भाजपा नेता व पूर्व मंत्री मूणत ने कहा कि मंत्रियों, प्रभारी मंत्री ,विधायकों आदि जनप्रतिनिधियों की उपेक्षा के बाद यह सवाल उठ खड़ा हुआ है कि क्या कोरोना संकट में समाजसेवी संस्थाओं से सहयोग करने के परिप्रेक्ष्य में बुलाई गई बैठक के लिए अब सरकार के पास सलाहकार ही शेष रह गए थे? प्रदेश सरकार ने ऐसा करके ग़लत संदेश दिया है। श्री मूणत ने प्रदेश सरकार की कोरोना-मोर्चे पर विफलता को लेकर जमकर निशाना साधा और कहा कि प्रदेश सरकार कोरोना संक्रमण की रोकथाम में पूरी तरह अक्षम सिद्ध हुई है और अब जाकर उसे उन समाजसेवी संस्थाओं की सुध आई है, जिन्हें उसने अपना तुग़लक़ी फ़रमान जारी कर लॉकडाउन के दौरान प्रभावित व ज़रूरतमंद परिवारों को सीधे सहयोग करने से रोका था।

मूणत ने कहा कि प्रदेश सरकार ने तो अपने स्तर पर किसी की कोई सहायता की नहीं, और जो सामाजिक व स्वयंसेवी संगठन नि:स्वार्थ भाव से लोगों की सहायता कर रहे थे, उन्हें भी रोकने की धृष्टता करके प्रदेश सरकार ने सेवा-भावना का अपमान कर अपने न्यस्त राजनीतिक स्वार्थों और श्रेय लूटने की संकीर्ण मानसिकता का परिचय देते हुए शुरू से अब तक सिर्फ़ सियासी लफ़्फ़ाजियाँ ही कीं।

भाजपा नेता व पूर्व मंत्री मूणत ने कटाक्ष किया कि आख़िरकार प्रदेश सरकार को लौटकर यदि उन्हीं समाजसेवी व स्वयंसेवी संगठनों की मदद की चिरौरी करनी पड़ रही है, तो इससे यह तो प्रमाणित हो ही गया है कि प्रदेश सरकार ने लॉकडाउन अवधि में सामाजिक संगठनों को रोककर ग़लत किया था जो प्रदेश सरकार की अदूरदर्शिता का परिचायक था और आज प्रदेश के जनप्रतिनिधियों को किनारे कर एक सलाहकार की नुमाइंदगी में सामाजिक संगठनों की बैठक रखना भी प्रदेश सरकार की अदूरदर्शिता और राजनीतिक नासमझी का नमूना है।

मूणत ने कहा कि आज प्रदेश में कोरोना का संक्रमण चरम पर पहुँच चुका है और सरकार को अपनी शर्मनाक अक्षमता का अहसास हुआ है। प्रदेशभर के कोविड अस्पतालों में मरीजों को भर्ती तक नहीं किया जा रहा है, भर्ती मरीजों की दुर्दशा हो रही है, उन्हें न तो समय पर चाय, नाश्ता, भोजन मिल रहा है, और न ही समय पर दवा और ऑक्सीजन मिल पा रहा है। कोविड अस्पतालों में न फेफड़ों की जाँच के लिए एक्स-रे मशीन है, न ही पर्याप्त उपकरण। ऐसी भयावह स्थिति में प्रदेश को लाकर खड़ा कर देने वाली प्रदेश सरकार अब अपनी अक्षमता के चलते मुँह चुराती नज़र आ रही है।

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