अरबों साल पहले दो Black Holes में हुई सबसे शक्तिशाली टक्कर के सबूत मिलने से विज्ञान जगत में हलचल

अरबों साल पहले दो Black Holes में हुई सबसे शक्तिशाली टक्कर के सबूत मिलने से विज्ञान जगत में हलचल
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ऐमस्टर्डैम
खगोलीय घटनाओं और दुर्लभ प्रकियाओं पर नजर रख रहे ऐस्ट्रोनॉमर्स ने एक हैरान कर देने वाली खोज की है। ऐस्ट्रोनॉमर्स ने दो ब्लैक होल्स (Black Holes) के बीच हुई एक टक्कर का पता लगाया है। यह घटना अब तक की सबसे शक्तिशाली और सबसे दूर हुई घटना है। जब हमारे ब्रह्मांड की उम्र आज की तुलना में आधी थी, तब हुई इस घटना के बारे में ग्रैविटेशनल वेव्स के जरिए पता लगाया गया है। खास बात यह है कि जिन दो ब्लैक होल के बीच यह टक्कर हुई थी, उसमें से एक का द्रव्यमान (mass) इतना ज्यादा था कि उसका इस घटना में शामिल होना ही अनोखा है।

मिले हैं खास ब्लैक होल के सबूत
इन दोनों के मिलने से जो ब्लैक होल पैदा हुआ, उसका mass 150 सूरज के बराबर था। इससे पहले कोई ब्लैक होल इस रेंज में देखा नहीं गया था। साइंस जर्नल Nature में बताया गया है कि नीदरलैंड्स की लीडन यूनिवर्सिटी के कंप्यूटेशल ऐस्ट्रोफिजिसिस्ट साइमन पोर्टगीस का कहना है कि इस खोज के बारे में हर बात होश उड़ाने वाली है। उन्होंने कहा कि इस खोज के साथ ही ‘intermediate mass’ के ब्लैक होल्स की मौजूदगी के सबूत भी मिले हैं। ये सितारे से बड़े होते हैं लेकिन supermassive ब्लैक होल से छोटे। यह mass एक बड़ा कारण है जिसकी वजह से इसके बनने की प्रकिया पारंपरिक तरीके से अलग मानी जाती है।

ऐसे की गई खोज
यह घटना 21 मई, 2019 को अमेरिका की Laser Interferometer Gravitational-Wave Observatory (LIGO) में लगे डिटेक्टर की मदद से डिटेक्ट की गई थी। इसके अलावा इटली के पीसा में भी Virgo Observatoryमें इसे देखा गया और GW190521 नाम दिया गया। 2015 से ये दोनों ऑब्जर्वेटरी ग्रैविटेशनल वेव्स को सेंस कर रही हैं। इनकी मदद से ब्लैक होल में टक्कर होने का पता लगाया जा सकता है जो आम टेलिस्कोप नहीं देख सकते हैं।

ऐसे पैदा होते हैं ब्लैक होल
ग्रैविटेशनल वेव्स में होने वाले बदलाव जैसे फीचर्स की मदद से ऐस्ट्रोफिजिस्ट उन ऑब्जेक्ट्स का पता लगा सकते हैं, जिनसे ये निकली होती हैं। इनकी मदद से ब्लैक होल्स की स्टडी आसान हो गई है। दो ब्लैक होल्स की टक्कर से पैदा होने वाले विशाल ब्लैक होल का mass किसी सितारे के मरने के साथ पैदा हुए ब्लैक होल जैसा ही है। हालांकि, थिअरी के हिसाब से सितारों के मरने से 65-120 सूरज के बराबर mass वाले ब्लैक होल पैदा नहीं होने चाहिए।

पहला ब्लैक जो intermediate mass की रेंज में
इस केस में दो ऑब्जेक्ट्स का mass 85 और 66 सूरज के बराबर माना गया है। यह ऐसा आकार है जहां ब्लैक होल बनने वाले सितारे केंद्र में इतना ज्यादा गर्म हो जाते हैं कि ये फोटॉन को पार्टिकल-ऐंटीपार्टिकल के पेयर में बदलने लगते हैं। इसे pair instability कहते हैं। इसकी वजह से ऑक्सिजन न्यूक्लिआई (oxygen nuclei) में विस्फोटक फ्यूजन होता है और सितारा पूरी तरह से ध्वस्त हो जाता है। 85 सूरज के बराबर mass वाला ब्लैक होल intermediate mass की रेंज का पहला ब्लैक होल है जिसे खोजा जा सका है।

कम ही मिलती है ऐसी फ्रीक्वेंसी
ताजा खोज में LIGO और Virgo ने स्पाइरल कर रहे ब्लैक होल्स से सिर्फ 4 तरंगें ही डिटेक्ट कीं जिनकी फ्रीक्वेंसी एक सेकंड के दसवें हिस्से में ही 30 से 80 हर्ट्ज पर पहुंच गई। इनकी तुलना में छोटे ब्लैक होल काफी देर तक ऐक्टिविटी दिखाते हैं, बड़े ब्लैक होल पहले ही मिल जाते हैं और कभी-कभार ही ऐसी फ्रीक्वेंसी रेंज में पहुंचते हैं जिन्हें सेंसर डिटेक्ट कर सकें। माना जा रहा है कि बड़ा वाला किसी सितारे के मरने से नहीं बल्कि दो ब्लैकहोल के मिलने से ही पैदा हुआ है।

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