सुकमा : गोधन न्याय योजना के तहत 3 हजार 900 क्विंटल से भी अधिक गोबर की हुई खरीदी

सुकमा : गोधन न्याय योजना के तहत 3 हजार 900 क्विंटल से भी अधिक गोबर की हुई खरीदी
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सुकमा : छत्तीसगढ़ शासन की महत्वाकांक्षी गोधन न्याय योजना का क्रियान्वयन सुकमा जिले में सार्थक रूप से किया जा रहा है। योजना के अंतर्गत गौठान समितियों द्वारा गोबर क्रय किया जा रहा है और गोबर विक्रय करने वाले हितग्राहियों को सीधा उनके बैंक खाते में भुगतान किया जा रहा है। वहीं क्रय किए गए गोबर से वर्मी खाद तैयार करने की जिम्मेदारी महिला स्व सहायता समूहों को सौंपी गई है जिसे 8 रुपए प्रति किलो की दर से समिति द्वारा बेचा जाएगा। सुकमा जिले में अब तक 13 हजार से भी अधिक पशुपालकों का पंजीयन गोठानो में किया जा चुका है वहीं 3 हजार 918 क्विंटल से भी अधिक गोबर गोठान समितियों द्वारा क्रय किया गया है। जिले के कोंटा विकासखंड के ग्रामपंचायत दुब्बाटोटा गौठान में 250 क्विंटल से अधिक की गोबर खरीदी की गई है जिसमें विश्वास स्व-सहायता समूह की महिलाओं ने 45 क्विंटल गोबर बेचकर 9000 रुपए की आमदनी प्राप्त की है। अतिरिक्त आय कमाकर महिलाओं में खुशी है और उनका कहना है कि इस योजना से अब उन्हें आर्थिक रूप से सशक्त होने में सहायता मिल रही है। पहले गोबर का उपयोग केवल घर लिपने और छेना बनाने में करते थे, योजना के फलस्वरूप अब गोबर से भी आय कमा सकते हैं।

कमल स्व सहायता समूह तैयार कर रही जैविक खाद

दुब्बाटोटा गौठान की कमल स्व-सहायता समूह की महिलाओं द्वारा गोबर में केचुआ डालकर वर्मी खाद तैयार किया जा रहा है ताकि किसान भाइयों को अच्छी गुणवत्ता वाला वर्मी खाद उपलब्ध कराया जा सके। समूह में 13 महिलाएं है जो बताती है कि गोबर से बने खाद से किसान भाइयों को अच्छी फसल तो मिलेगी ही साथ ही उन्हें भी आर्थिक लाभ कमाने का मौका मिलेगा। उन्होंने बताया कि कृषि विभाग के अधिकारियों द्वारा उन्हें जैविक खाद तैयार करने का प्रशिक्षण भी प्रदाय किया गया है, जिसके तहत गोबर के रख रखाव से लेकर खाद बनाने के लिए आवश्यक जैविक वस्तुओं जैसे पेड़ की पत्तियों, छाल, केंचुएं आदि के प्रबंधन सहित अन्य बिंदुओं पर उन्हें प्रशिक्षित किया गया है ताकि उच्च गुणवत्ता वाले खाद तैयार किया जा सके। समूह की महिलाओं का कहना है कि वे खुद के बनाए जैविक खाद को बेचकर आर्थिक लाभ तो कमाएंगी ही साथ ही आत्मनिर्भरता की ओर भी अग्रसर है। अब सारा दिन घर के कामों में व्यस्त नहीं रहकर गोबर से खाद बनाने के लिए थोड़ा वक्त देकर वे स्वयं को आर्थिक रूप से सुदृढ कर पाएंगी।

गोधन योजना से ग्रामीण बन रहे आत्मनिर्भर

उल्लेखनीय है कि गोधन न्याय योजना का शुभारंभ हरेली पर्व के अवसर पर 20 जुलाई 2020 को पूरे प्रदेश में किया गया था। शुभारंभ के बाद से ही पशुपालक गोबर का विक्रय करने गौठानों में पहुच रहे हैं जिससे उन्हें अतिरिक्त आर्थिक लाभ मिल रहा है। साथ ही ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूती मिल रही है। गोधन न्याय योजना के अंतर्गत गोबर विक्रय करने वाले हितग्राहियों को महीने में दो बार बैंक खातों के माध्यम से भुगतान किया जाना है। शासन की गोधन न्याय योजना ग्रामीण क्षेत्रों के किसानों, स्व-सहायता समूह की महिलाओं के लिए कल्याणकारी कदम साबित हो रहा है। गौठानों से जुड़कर ग्रामीण अंचल के लोग भी आत्मनिर्भर बन रहे है।

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