वन अधिकार पत्र मिलने से वनवासियों के सपनों को लगे पंख

वन अधिकार पत्र मिलने से वनवासियों के सपनों को लगे पंख
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रायपुर : वन अधिकार पत्र मिलने से वनभूमि पर काबिज वनवासियों की जीवन में बदलाव और खुशियां आ गई हैं। वनभूमि पर पीढ़ियों से खेती-किसानी कर जीवन-यापन कर रहे आदिवासी किसान काबिज भूमि का कागजात न होने से उन्हें शासन की योजनाओं का लाभ नहीं मिल रहा था। मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल ने काबिज जमीन का पट्टा देकर न सिर्फ वनवासियों के पूर्वजों की सपना को साकार किया है, बल्कि वनभूमि का पट्टा मिलने से उनकी चिंता दूर हो गई है। बेहतर खेती-किसानी और बेहतर जीवन जीने के उनके सपनों को नये पंख मिल गये हैं। ऐसा कहना है बलौदाबाजार जिले के आदिवासी किसान श्री महेश राम बरिहा और कसडोल विकासखण्ड के ग्राम राजादेवरी निवासी श्री झूमक लाल का।

बलौदाबाजार जिले के ग्राम थरगाँव निवासी आदिवासी किसान श्री महेश राम बरिहा का परिवार कई पीढ़ियों से काबिज वनभूमि पर खेती करके जीवन यापन कर रहे हैं। श्री महेश राम बरिहा बताते हैं कि उनकेे पास जमीन के कागजात नही होने से उन्हें हमेशा अपनी काबिज जमीन से बेदखली का डर सता रहा था। अब राज्य सरकार से काबिज भूमि 3 एकड़ 20 डिसमिल का वन अधिकार पत्र मिल गया है। जमीन का मालिकाना हक मिलने से न सिर्फ पूर्वजों का सपना साकार हो उठा है, बल्कि बेहतर जिन्दगी का जो सपना उन्होंने देखा था उसे भी एक नये पंख मिल गये हैं। श्री महेश राम ने बताया कि वे मौसम के अनुकल अलग अलग फसल लेते है, जिसमें धान, गेंहू एवं उड़द शामिल हैं। इस साल धान के बोनस के पैसे से सिंचाई के लिए बोर भी लगा लिया हैे। जमीन का पट्टा मिलने से खरीफ फसल के लिये सहकारी सोसायटी से खाद् और बीज मिला है। ऐसे ही कसडोल विकासखण्ड के ग्राम राजादेवरी निवासी श्री झूमक लाल को 3 एकड़ काबिज भूमि का वन अधिकार पत्र मिला है। इस जमीन पर वह धान एवं सब्जी की खेती करता है। श्री झुमक लाल कहते हैं कि वन अधिकार पत्र मिलने से जमीन छोड़ने एवं किसी के द्वारा भगाने का डर दूर हो गया है। अब खेती-किसानी के लिए सोसायटी से खाद एवं बीज प्राप्त करना आसान हो गया है। अब निश्चिंत होकर अपने परिवार के साथ जीवन यापन कर रहे है। इन किसानों ने मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल को धन्यवाद दिया है ।

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