कोरोना काल में सेक्स ट्वॉय की मांग, चीन की चांदी

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पेइचिंग
कोरोनावायरल लॉकडाउन के दौरान जहां अधिकतर देशों को आर्थिक मोर्चे पर परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है, वहीं चीन में एक सेक्टर ऐसा भी है जिसमें बड़ी उछाल देखने को मिल रही है। महामारी के दौरान चीन में बने सेक्ट ट्वॉय की मांग दुनियाभर में 30 फीसदी से ज्यादा बढ़ गई है। चीन की अर्थव्यवस्था भी कोरोना वायरस के कारण बुरी तरह प्रभावित है। कोरोना काल में न केवल चीन के निर्यात में कमी आई है बल्कि वहां विनिर्माण उद्योग भी बुरी तरह प्रभावित हुआ है।

चीन में सेक्स ट्वॉय इंडस्ट्री में बूम
साउथ चाइना मॉर्निग पोस्ट की रिपोर्ट के अनुसार, चीन की सेक्स ट्वॉय इंडस्ट्रीज को इन दिनों देश और विदेश से बड़ी संख्या में ऑर्डर मिल रहे हैं। चीन के शैंडोंग स्थित सेक्स ट्वॉय बनाने वाली कंपनी लिबो टेक्नोलॉजी के विदेशी सेल्स मैनेजर वायलेट डू ने कहा कि फरवरी में जब हम लॉकडाउन के बाद काम पर लौटे तो बढ़ती मांग के कारण हमें कर्मचारियों की संख्या बढ़ानी पड़ी।

फ्रांस, अमेरिका और यूरोप से मिल रहे ऑर्डर
डू ने कहा कि फ्रांस, अमेरिका और इटली से हमें सबसे अधिक ऑर्डर मिल रहे हैं। हमारी भी कोशिश है कि अपने ग्राहकों तक जल्द से जल्द ऑर्डर पहुंचाया जाए। उन्होंने कहा कि हालांकि इस दौरान चीन में हमारी बिक्री प्रभावित हुई है लेकिन उसका कारण ट्रांसपोर्ट का रुकना है। जल्द ही हमें घरेलू बाजार से भी बड़ी संख्या में ऑर्डर मिलने शुरू हो जाएंगे।

24 घंटे काम कर रही प्रोडक्शन लाइनें
उन्होंने कहा कि हमारी प्रोडक्शन लाइनें 24 घंटे काम कर रही हैं। वहीं, हमारे कर्मचारी दो शिफ्टों में डिमांड को पूरा करने के लिए कड़ी मेहनत कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि मांग में अचानक आई वृद्धि का कारण लॉकडाउन है। उन्होंने अमेरिका और कुछ अन्य यूरोपीय देशों से ऑर्डर और बढ़ने की उम्मीद भी जताई।

दूसरी कंपनी ने भी कहा- हमारे पास ऑर्डर ज्यादा
वहीं डॉन्गुआन स्थित एबेई सेक्स डॉल कंपनी ने भी अपने यहां कर्मचारियों की संख्या को बढ़ाया है। कंपनी के जनरल मैनेजर लोउ ने कहा कि हमारे पास भी बहुत ऑर्डर पेंडिंग पड़े हुए हैं। लोउ ने दावा किया कि उनकी सेल्स इस दौरान 50 फीसदी बढ़ गई है। एबेई हर महीने लगभग 1,500 सेक्स डॉल्स का उत्पादन करती है, जिसकी कीमत 2,200 युआन से लेकर 3,600 युआन तक होती है।

ऑर्डर से कम बन रही डॉल्स
लोउ ने कहा कि हमें चीन से उतना ऑर्डर नहीं मिल रहा जितना अमेरिका और यूरोपीय देशों से मिल रहा है। क्योंकि, चीन की संस्कृति अधिक रूढ़िवादी है। उन्होंने यह भी कहा कि हर महीने 2000 से ज्यादा डॉल्स बनाने के बाद भी हम अमेरिकी और यूरोपीय देशों से मिल रहे ऑर्डर को पूरा नहीं कर पा रहे हैं।

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