US विमानों ने घेरा, लद्दाख में झुका चीनी ड्रैगन

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चिदानंद राजघट्टा, वॉशिंगटन
लद्दाख से लेकर तक दादागीरी पर उतारू चीन अब अपने ही बिछाए जाल में बुरी तरह से फंस गया है। लद्दाख में हजारों सैनिक तैनात करके और दक्षिण चीन सागर में युद्धाभ्‍यास शुरू करके चीन ने अपने पड़ोसी देशों को डराने की कोशिश की। चीन की इस हरकत के बाद सुपरपावर अमेरिका ने दक्षिण चीन सागर में युद्धाभ्‍यास शुरू कर दिया है। इसमें उसके दो एयरक्राफ्ट कैरियर भी हिस्‍सा ले रहे हैं। शनिवार को अमेरिका के 11 फाइटर जेट ने भी साउथ चाइना सी के ऊपर से उड़ान भरी थी। सूत्रों के मुताबिक अमेरिका के इस सख्‍त रुख के बाद चीन झुकने को मजबूर हो गया है और लद्दाख में अपने सैनिकों को हटाना शुरू कर दिया।

बताया जा रहा है कि कई साल बाद अमेरिकी नौसेना ने इतना बड़ा युद्धाभ्‍यास शुरू किया है। इसका असर यह रहा है कि चौतरफा घिरे चीन को सोमवार को लद्दाख में अपनी सेना को पीछे हटाना पड़ा है। दरअसल, शन‍िवार को ड्रैगन की धमकी से बेपरवाह अमेरिका के 11 लड़ाकू विमानों ने एक साथ साउथ चाइना सी के विवाद‍ित इलाके में उड़ान भरी। इसमें परमाणु बम ले जाने में सक्षम अमेरिका के B-52 बमवर्षक विमान के साथ 10 अन्‍य फाइटर जेट ने हिस्‍सा लिया।

चीन को दुस्‍साहस के खिलाफ सख्‍त संदेश दिया
इन सभी लड़ाकू विमानों ने अमेरिकी एयरक्राफ्ट कैरियर निमित्‍ज से उड़ान भरी थी। यूएसएस निमित्‍ज के साथ यूएसएस रोनाल्‍ड रीगन एयरक्राफ्ट कैरियर भी युद्धाभ्‍यास में हिस्‍सा ले रहा है। जानकारों की मानें तो ऐसा बहुत कम होता है जब अमेरिका के दो एयरक्राफ्ट कैरियर एक साथ युद्धाभ्‍यास करते हैं। माना जा रहा है कि अमेरिकी नौसेना दिन और रात दोनों ही समय में युद्धाभ्‍यास करके चीन को उसके किसी भी दुस्‍साहस के खिलाफ सख्‍त संदेश दिया। ये एयरक्राफ्ट कैरियर दुनियाभर में अमेरिकी नौसैनिक ताकत के प्रतीक माने जाते हैं।

उधर, अमेरिका ने कहा है कि उसके इस युद्धाभ्‍यास का मकसद इस इलाके के हर देश को उड़ान भरने, समुद्री इलाके से गुजरने और अंतरराष्‍ट्रीय कानूनों के मुताबिक संचालन करने में सहायता देना है। यही नहीं अमेरिका ने यह भी स्‍पष्‍ट संकेत दिया है कि वह कोरोना वायरस को फैलाने के लिए चीन के खिलाफ दंडात्‍मक कार्रवाई के लिए तैयार है। अमेरिकी राष्‍ट्रपति डोनाल्‍ड ट्रंप के चीफ ऑफ स्‍टाफ मार्क मेडोस ने सोमवार को कहा कि अमेरिकी युद्धाभ्‍यास इस बात का संकेत है कि वाइट हाउस प्रशांत महासागर और उसके आगे प्रभावी शक्ति की अपनी भूमिका से पीछे नहीं हटेगा। उन्‍होंने कहा, ‘हमारा रुख सख्‍त बना रहेगा फ‍िर चाहे वह भारत के साथ चीन के विवाद से जुड़ा हुआ हो या कहीं और।’

सबसे शक्तिशाली, प्रभावी ताकत का दर्जा नहीं लेने देंगे: US
मेडोस ने कहा कि हम मूकदर्शक नहीं बने रहेंगे और चाहे चीन हो या कोई और हम प्रशांत महासागर या किसी और अन्‍य जगह पर किसी और देश को सबसे शक्तिशाली, प्रभावी ताकत का दर्जा नहीं लेने देंगे। हमारी सैन्‍य ताकत मजबूत है और आगे भी मजबूत बनी रहेगी। फ‍िर चाहे वह भारत और चीन के बीच संघर्ष से जुड़ा हो या कहीं और।’ मेडोस ने कहा कि अमेरिका का मिशन है कि यह सुनिश्चित किया जाए कि विश्‍व यह जाने कि अमेरिका अभी भी दुनिया की श्रेष्‍ठ सैन्‍य ताकत है।’

यही नहीं अमेरिकी राष्‍ट्रपति डोनाल्‍ड ट्रंप ने भी ट्वीट कर चीन को घेरा। उन्‍होंने कहा,’ चीन ने अमेरिका और पूरी दुनिया का बहुत नुकसान किया है।’ ड्रैगन खुद को अपने ‘घर’ में घिरा देख भारत के साथ डील करने को मजबूर हो गया। चीन ने अब गलवान घाटी में संघर्ष वाली जगह से अपने सैनिकों को 1.5 किलोमीटर पीछे हटा लिया है। चीन के विदेश विदेश मंत्री वान्ग यी (Wang Yi) की ओर से विस्तृत बयान जारी कर उम्मीद जताई गई है कि अब दोनों पक्ष ऐसा कोई कदम नहीं उठाएंगे जिससे विवाद बढ़े। उन्‍होंने यह भी कहा कि चीन अपनी क्षेत्री संप्रभुता और सीमाक्षेत्रों और शांति की प्रभावी तरीके से रक्षा करता रहेगा।

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