भारतीय छात्रों के वीजा पर अमेरिका, ख्याल रखेंगे

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अमेरिका ने भारत को विश्वास दिलाया है कि नए वीजा निमयों के तहत भारतीय छात्रों के हितों का ख्याल रखा जाएगा। भारत ने अमेरिका के सामने दो लाख छात्रों का मुद्दा उठाया था जिनका भविष्य अमेरिका के नए नियम की वजह से खतरे में है। भारत और अमेरिका के विदेश मंत्रालय के बी बातचीत के दौरान इस पर चर्चा की गई। अमेरिकी यूनिवर्सिटी और कॉलेजों में पढ़ाई करने वाले ये छात्र F-1 वीजा पर यहां आते हैं। वहीं, अमेरिका में वोकेशनल या अन्य मान्यता प्राप्त गैर-शैक्षणिक संस्थानों में तकनीकी कार्यक्रमों में दाखिला लेने वाले छात्र (भाषा प्रशिक्षण कार्यक्रम से इतर) M -1 वीजा पर यहां आते हैं। इस दिशानिर्देश से यहां पढ़ रहे हजारों छात्रों में चिंता और निश्चितता घर कर गई है और वे छात्र भी चिंतित है जो सितंबर में शुरू हो रहे अकैडमिक सेशन के लिए अमेरिका आने की तैयारी कर रहे हैं।

बातचीत के दौरान भारत ने अमेरिका ने नियमों में ढील की अपील की है और अमेरिका ने भी विश्वास दिलाया कि भारतीय छात्रों के हितों का ख्याल रखा जाएगा। अभी इस दिशा में नियम को लागू करने के लिए निर्देशों का इंतजार किया जा रहा है। अमेरिका के ज्यादातर कॉलेज-यूनिवर्सिटी ने अभी सेमेस्टर के लिए अपने प्लान का ऐलान नहीं किया है। समेत ज्यादातर स्कूल ऑनलाइन-ऑफलाइन क्लास के मिक्स का प्लान कर रहे हैं जबकि हार्वर्ड यूनिवर्सिटी कुछ ऑनलाइन क्लास की बात कर रहे हैं। हार्वर्ड का कहना है कि 40% ग्रैजुएशन स्टूडेंट्स को कैंपस पर आने दिया जाएगा लेकिन उन्हें इंस्ट्रक्शन ऑनलाइन दिए जाएंगे।

अमेरिका में 2018-19 में 10 लाख अंतरराष्ट्रीय छात्र थे। सबसे ज्यादा बच्चे चीन, फिर भारत, साउथ कोरिया, सऊदी अरब और कनाडा से थे। ‘स्टूडेंट ऐंड एक्सचेंज विजिटर प्रोग्राम’ (SEVP) की 2018 ‘सेविस बाई नंबर रिपोर्ट’ के अनुसार अमेरिका में 2017 में चीन के सबसे अधिक 4,78,732 छात्रों के बाद 2,51,290 भारतीय छात्र थे। वहीं, वर्ष 2017 से 2018 के बीच अमेरिका पढ़ने आए भारतीय छात्रों की संख्या में 4157 की बढ़ोतरी हुई।

US इमिग्रेशन ऐंड कस्टम एनफोर्समेंट (ICE) ने कहा कि मौजूदा समय में सक्रिय छात्र जो अमेरिका में इन पाठ्यक्रमों में रजिस्टर्ड हैं, उन्हें अपने देश लौट जाना चाहिए या वैधता बनाए रखने या आव्रजन नियमों के तहत संभावित कार्रवाई से बचने के लिए दूसरे तरीकों, जैसे उन स्कूलों में ट्रांसफर कराना चाहिए जहां पारंपरिक क्लासेज में पढ़ाई हो रही है। अंतरराष्ट्रीय छात्रों के अमेरिका में रहने की अर्हता को बताते हुए आईसीई ने कहा कि छात्रों को संघीय कानून के अंतर्गत चल रही स्कूलों में पांरपरिक कक्षाओं में पढ़ाई करनी होगी।

आईसीई ने कहा, ‘योग्य F छात्र अधिकतम एक कक्षा या तीन क्रेडिट घंटे ऑनलाइन ले सकते हैं।’ गैर-आव्रजक (Non-immigrant) F-1 छात्र, जो हाइब्रिड मॉडल- ऑनलाइन और पारंपरिक कक्षा- के तहत अध्ययन कर रहे हैं, उन्हें एक से अधिक कक्षाएं या तीन क्रेडिट घंटे ऑनलाइन लेने की अनुमति होगी। स्कूलों को यह प्रमाणित करना होगा कि ‘स्टूडेंट ऐंड एक्सचेंज विजिटर प्रोग्राम के तहत पाठ्यक्रम पूरी तरह से ऑनलाइन नहीं है और छात्र 2020 के आगामी सेमेस्टर में सभी कक्षाएं ऑनलाइन नहीं लेगा, छात्र न्यूनतम ऑनलाइन कक्षाएं लेगा जो उसके डिग्री कार्यक्रम की समान्य प्रगति के लिए जरूरी है। आईसीई ने कहा कि उपरोक्त रियायत अंग्रेजी भाषा प्रशिक्षण कार्यक्रम में पंजीकृत F-1 छात्रों और वोकेशनल डिग्री की पढ़ाई कर रहे M-1 श्रेणी के छात्रों पर लागू नहीं हो जिन्हें ऑनलाइन पाठ्यक्रमों में पंजीकृत कराने की अनुमति नहीं है।

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