चीनी मीडिया की धमकी, 'US-रूस नहीं आएंगे काम'

चीनी मीडिया की धमकी, 'US-रूस नहीं आएंगे काम'
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पेइचिंग
लद्दाख के गलवान घाटी में 15 जून को हुए संघर्ष के बाद से ही भारत और चीन में तनाव जोरों पर है। इस बीच भारत सरकार ने सीमा पर तैनात फील्ड कमांडरों को छूट दी है कि वे अपने हिसाब से इंगेजमेंट की पॉलिसी में बदलाव कर सकते हैं। इसकी मतलब यह हुआ कि अगर सैन्य अधिकारियों को यह महसूस होता है कि स्थिति को नियंत्रित करने के लिए गोली चलाना जरूरी है तो वे बिना देरी किए आदेश दे सकते हैं। बस इसी बात से चीन की मिर्ची लग गई है।

1962 युद्ध को लेकर हांकी डींग
चीन सरकार के मुखपत्र ग्लोबल टाइम्स ने डींगे हांकते हुए यहां तक कहा कि खुलेआम चेतावनी देते हुए लिखा है कि 1962 के युद्ध में अमेरिका और रूस भारत के पक्ष में आए लेकिन चीन ने किसी की परवाह न करते हुए भारत को दूर खदेड़ दिया। ग्लोबल टाइम्स ने आगे लिखा कि अगर भारत एकतरफा सीमा प्रबंधन तंत्र का उल्लंघन करता है, तो चीन को भी जबरदस्ती जवाब देना होगा। किसी की सहायता भी भारत के काम नहीं आएगी।

भारत ने गोली चलाई तो भुगतना होगा अंजाम
इतना ही नहीं, चीनी सरकारी मीडिया ने खुलेआम चेतावनी देते हुए लिखा है कि चीनी सैनिकों के साथ इंगेजमेंट के नियमों को बदलने और गोली चलाने की परमिशन देने से भारत की सुरक्षा को ही खतरा होगा। अगर ने गोलीबारी की तो चीनी सेना भी इसका जवाब देगी। ग्लोबल टाइम्स ने यह भी लिखा कि अगर भारत ने सीमा पर शक्ति का प्रयोग किया तो बिना हिचक चीन भी इसमें शामिल होगा, भले ही सामरिक रूप से चीन कितना भी घिरा क्यों न हो।

पीएम के बयान को लेकर साधा निशाना
ग्लोबल टाइम्स ने यह भी आरोप लगाया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बयान ने चीन पर आरोप लगाने का नैतिक आधार ही खत्म कर दिया। यह बयान तनाव कम करने में बहुत मददगार होगा। उसने यह भी लिखा कि सशस्त्र बलों को कोई भी आवश्यक कार्रवाई करने की पूरी आजादी देने का फैसला राष्ट्रवादियों के भावनाओं पर काबू पाने के लिए दिया गया है।

1996 में दोनों देशों ने किया था समझौता
बता दें कि भारत चीन सीमा पर लंबे समय से गोली नहीं चली है। 1996 में भारत-चीन सीमा क्षेत्रों में वास्तविक नियंत्रण रेखा के साथ सैन्य क्षेत्र में आत्मविश्वास-निर्माण के लिए दोनों देशों ने समझौता किया था कि एलएसी के दो किलोमीटर के इलाके में दोनों पक्ष न तो गोली चलाएंगे और न ही विस्फोटक लेकर गश्त करेंगे। गश्त के दौरान भी दोनों पक्षों के जवानों के बंदूक की बैरल नीचे की तरफ होगी।

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