जानें, US, UK में क्यों गिराई जा रही हैं मूर्तियां
अश्वेत-अमेरिकन George Floyd की पुलिस हिरासत में मौत के बाद दुनियाभर में रंगभेद के खिलाफ प्रदर्शन तेज हो चुके हैं। अब यह आंदोलन सिर्फ पुलिस की बर्बरता नहीं बल्कि सदियों से अश्वेतों के साथ होने वाले भेदभाव के विरोध को लेकर गहराता जा रहा है। अमेरिका से लेकर ब्रिटेन, फ्रांस, स्पेन जैसे देशों में लोग रंगभेद के खिलाफ कदम उठाए जाने की मांग कर रहे हैं। इस बीच विरोध का एक बड़ा तरीका इतिहास की ऐसी हस्तियों की मूर्तियों को गिराने का है, जिन्हें अश्वेतों पर अत्याचार और भेदभाव का जिम्मेदार माना जाता है। देखें, अमेरिका और ब्रिटेन में क्यों तोड़ी गईं ये
अमेरिका में क्रिस्टोफर कोलंबस (Christopher Columbus) की मूर्तियां कई जगहों पर गिरा दी गईं, तो कहीं पर उसे क्षतिग्रस्त कर दिया गया। रिचमन्ड में प्रदर्शनकारियों ने क्रिस्टोफर कोलंबस की प्रतिमा तोड़ दी, उसमें आग लगा दी और फिर उसे एक नदी में फेंक दिया। बायर्ड पार्क में इकट्ठा हुए प्रदर्शनाकारियों ने मंगलवार रात करीब साढ़े आठ बजे प्रतिमा को कई रस्सियों की मदद से उखाड़ दिया और उसकी जगह स्प्रे से लिख दिया, ‘कोलंबस नसंहार का प्रतीक’ है। दरअसल, कोलंबस को अमेरिका में अश्वेतों पर अत्याचार का जिम्मेदार माना जाता है। मिनेसोटा में भी कोलंबस की मूर्ति को गिराया गया, जबकि बॉस्टन में उसका सिर तोड़ दिया गया जिसके बाद प्रशासन ने मूर्ति को हटा दिया। प्रदर्शनकारियों का कहना है कि क्रिस्टोफर की मूर्ति लगाकर उन अश्वेत लोगों के दर्द का मजाक उड़ाया जाता है, जिनकी कॉलोनी की खोज क्रिस्टोफर ने की थीं और बाद में दूसरे शासकों ने अपना गुलाम बनाया था।
विन्स्टन चर्चिल (Winston Churchill) युद्धग्रस्त ब्रिटेन के प्रधानमंत्री थे और नाजीवाद को हराने के लिए उन्हें लीडरशिप की मिसाल माना जाता है। 2002 में एक बीबीसी पोल में उन्हें ब्रिटेन के 100 सबसे महान लोगों में शामिल किया गया था और उनकी तस्वीर ब्रिटेन के 5 पाउंड के नोट पर नजर आती है। हालांकि, कहा जाता है कि वह सामाजिक वर्गीकरण में विश्वास रखते थे और उनकी नीतियों को 1943 में बंगाल के सूखे लिए जिम्मेदार माना जाता है। इस आफदा में कम से कम 30 लाख लोगों की जान गई थी। बीते रविवार लंदन के पार्लमेंट स्क्वेयर में लगे चर्चिल के पुतले को गिरा दिया गया था।
1636 में पैदा हुए एडवर्ड कोल्स्टन (Edward Colston) की 1721 में मौत के 170 साल बाद 1895 में ब्रिस्टल में उनकी मूर्ति स्थापित की गई थी। कोल्स्टन रॉयल अफ्रीकन कंपनी में स्लेव ट्रेडर थे और उन्हें 84,000 अफ्रीकी लोगों को गुलाम बनाए जाने के लिए जिम्मेदार बताया जाता है, जिनमें से 19,000 की अटलांटिक के रास्ते में मौत हो गई लेकिन उस वक्त के ब्रिस्टल के लोग उन्हें इसके लिए गलत नहीं नहीं मानते थे बल्कि उन्हें समाज-सेवी के तौर पर देखा जाता था।
सेसील रोड्स (Cecil Rhodes) ब्रिटेन के साम्राज्यवादी नेताओं में से एक थे जिन्हें दक्षिणी अफ्रीका में सत्ता हासिल करने के लिए जाना जाता है। पहल बिजनसमैन रहे सेसील बाद में केप कॉलोनी, अब दक्षिण अफ्रीका, के प्रधानमंत्री बने। यूनिवर्सिटी ऑफ ऑक्सफर्ड के ओरियल कॉलेज के बाहर लगे पुतले को मंगलवार को गिरा दिया गया। पुतले को गिराने की मांग करते आ रहे ऑक्सफर्ड के ग्रुप का कहना है कि अफ्रीका को लेकर सेसील की विचारधारा, ऐंग्लो-सैक्सॉन जाति को बेहतर मानना और अफ्रीकियों को गुलाम समझने की मानसिकत सही नहीं थी।
वर्जीनिया के मशहूर मॉन्यूमेंट ऐवेन्यू रिचमन्ड में बुधवार रात को प्रदर्शनकारियों ने जेफरसन डेविस (Jefforson Davis) की प्रतिमा तोड़ दी। दक्षिणी अमेरिकी राज्यों के संघ कनफेडरेट ने अमेरिकी गृह युद्ध में उत्तरी राज्यों के खिलाफ लड़ाई लड़ी थी और इसे 1865 में परास्त कर दिया गया था। इसकी स्थापना 1861 में की गयी थी और यह दास प्रथा को जारी रखने के पक्ष में था। जेफरसन की मूर्ति उसी काल की थी। वर्जीनिया के गवर्नर राल्फ नॉर्थम ने पिछले हफ्ते सप्ताह कनफेडरेट जनरल रॉबर्ट ई ली की प्रतिमा हटाने का आदेश दिया था जो डेविस की प्रतिमा से चार ब्लॉक की दूरी पर है लेकिन एक जज ने सोमवार को अधिकारियों को अगले दस दिनों के लिए स्मारकों को हटाने से रोकने का आदेश दिया।
रॉबर्ट मिलिगन (Robert Milligan) के पुतले को मंगलवार को ईस्ट लंदन के डॉकलैंड एरिया में हटा दिया गया। स्कॉटिश मर्चेंट और गुलामों के मालिक रॉबर्ट की लंदन के वेस्ट इंडिया डॉक्स के पीछे बड़ी भूमिका बताई जाती है। करेबियन में गलामों के बनाए उत्पादों के व्यापार के लिए इसे बनाया गया था। लंदन के मेयर सादिक खान ने भी इस कदम का समर्थन करते हुए कहा है कि यह बहुत दुखी करने वाली बात है कि हमारी ज्यादातर कमाई गुलामी के व्यापार से आई लेकिन इसका जश्न हमारे सार्वजनिक स्थानों पर नहीं मनाया जाना चाहिए।