खुल चुका था कोरोना का राज, छिपाता रहा चीन

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पेइचिंग
चीन में कैसे कोरोना वायरस इन्फेक्शन को फैलने से रोकने में लापरवाही की गई, इसे लेकर ताजा सबूत सामने आ रहे हैं। वायरस के फैलने को लेकर सामने आईं रिपोर्ट्स, जिन्हें सेंसर कर दिया गया था, अंग्रेजी अखबार ‘द मेल’ ने उनके हवाले से दावा किया है कि चीन की कम से कम पांच लैब ने नोवेल कोरोना वायरस के जानलेवा होने की पुष्टि की थी और एक लैब ने यह दावा भी किया था कि यह इंसानों से फैलता है। बावजूद इसके अधिकारियों ने 10 दिन बात वायरस की मौजूदगी को स्वीकारा जबकि तीन हफ्ते बाद पेइचिंग ने इसकी पुष्टि की कि वायरस इंसानों से फैलता है।

दिसंबर में पता चल गया था वायरस का खतरा
‘दे डेली मेल’ ने लोकतंत्र समर्थक ऐक्टिविस्ट लिआनशाओ हान के हवाले से बताया है कि चीन को पता था कि वायरस पिछले दिसंबर में फैलने लगा था लेकिन उसने यह जानकारी सार्वजनिक नहीं की और न अंतरराष्ट्रीय समुदाय को इसके बारे में जानकारी दी। हान का कहना है कि चीन की गैरजिम्मेदारी की वह से महामारी इतने भयानक दौर में पहुंचीं। इंडिपेंडेंट मीडिया ग्रुप Caixin की जांच में ये बातें सामने आई थीं जिसके चीनी भाषा में ऑनलाइन रिपोर्ट को हटा दिया गया लेकिन जरूरी बातों वाली अंग्रेजी कॉपी अभी मौजूद है।

सैंपल देखकर लैब ने वुहान को घुमाया फोन
इस रिपोर्ट के मुताबिक विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) को 31 दिसंबर 2019 को इस बारे में बताने से पहले 9 मरीजों के सैंपल देश की अलग-अलग लैब में भेजे गए थे। दक्षिणी चीन के गुआंगझाऊ की एक जीनोमिक्स कंपनी को 65 साल के डिलिवरी मैन के सैंपल में जो मिला वह इतना चिंताजनक था कि पहले वहां से वुहान के अस्पताल में फोन पर अलर्ट भेजा गया और फिर उसका सीनियर स्टाफ खुद वुहान पहुंचा।

‘SARS जैसा वायरस, इंसानों में फैलता है’
Caixin को गुआंगझाओ की एक प्राइवेट फर्म में एक रिसर्चर का एक सोशल मीडिया पोस्ट भी मिला जिसमें कहा गया कि वायरस 2003 के SARS कोरोना वायरस जैसे दिखता था, जो चमगादड़ों में रहता था। Caixin ने कहा कि लैब ने वायरस का जीनोम सीक्वेंस तैयार किया और चाइनीज अकैडमी ऑफ मेडिकल साइंसेज को भेजा। एक और मेडिकल लैब ने चेतावनी दी कि वायरस कम दूरी पर बूंदों के जरिए फैल सकता है या सांस संबंधी फ्लूइड्स के सहारे भी फैल सकता है। लैब ने साफ-साफ कहा कि यह इंसानों से फैलने वाला है। तीसरी कंपनी ने भी जेनेटिक सीक्वेंस SARS जैसा पाया। साथ ही, यह भी कहा कि यह बीमारी अलग थी।

जानकारी छापने पर लगी रोक
वुहान के वायरॉलजी इंस्टिट्यूट के डायरेक्टर ने नैशनल हेल्थ कमीशन से टेस्ट या डेटा को सार्वजनिक नहीं करने को कहा। बिना आधिकारिक इजाजत के पैथोजन टेस्टिंग या एक्सपेरिमेंटल ऐक्टिविटीज की जानकारी छापने पर रोक लगा दी गई। करीब 8 दिन बाद शंघाई के एक प्रफेसर ने सीक्वेंस को पब्लिश कर दिया तो उनकी लैब को बंद कर दिया गया। इसके बाद चीनी अधिकारियों ने जीनोम को लेकर तो बात स्वीकार कर ली लेकिन इंसानों से फैलने वाली बात 20 जनवरी तक नहीं बताई।

(Source: DailyMailUK)

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