गांधी की प्रतिमा को नुकसान पहुंचाने वाले पकड़ से दूर

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वॉशिंगटन
अमेरिका की राजधानी वॉशिंगटन में भारतीय दूतावास के सामने स्थापित महात्मा गांधी की मूर्ति को नुकसान पहुंचाने वाले लोगों की पहचान कर गिरफ्तारी की मांग की जा रही है। मिनेसोटा के मिनियोपोलिस में पुलिस के हाथों मारे गए George Floyd को इंसाफ दिलाने के लिए जारी विरोध प्रदर्शनों के बीच वॉशिंगटन में लगी इस मूर्ति को नुकसान पहुंचाया गया था जिसके लिए अमेरिका ने भारत से माफी भी मांगी थी। घटना के खिलाफ लोगों ने आवाज उठाई है कि कैसे ऐसा काम करने वालों ने गांधी और मार्टिन लूथर किंग के आदर्शों को चोट पहुंचाई है।

जांच शुरू की गई
इसे नुकसान पहुंचाए जाने की काफी आलोचना हो रही है। वॉशिंगटन में विरोध प्रदर्शनों के दौरान मूर्ति पर अज्ञात लोगों ग्रैफिटी बना दी थी और स्प्रे पेंट किया था। इसके बाद स्थानीय प्रशासन ने शिकायत दर्ज करके जांच शुरू कर दी है लेकिन कोई गिरफ्तारी नहीं की जा सकी है। साथ ही, मूर्ति को ढक दिया गया है और मूर्तिस्थल की साफ-सफाई कराई गई है।

‘डांडी मार्च’ की मुद्रा
महात्मा गांधी की यह मूर्ति 2000 में भारत के तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के दौरान इंडियन काउंसिल ऑफ कल्चरल रिलेशन्स ने तोहफे के रूप में समर्पित की थी। पीतल की यह मूर्ति 8.8 फीट की है और इसमें वह ‘डांडी मार्च’ की मुद्रा में दर्शाए गए हैं। इस मूर्ति को कोलकाता के मूर्तिकार गौतम पाल ने बनाया था। इसमें महात्मा गांधी का एक पत्रकार को दिया संदेश लिखा है- ‘मेरा जीवन ही मेरा संदेश है।’

प्रेरित रहा है अमेरिका
वॉशिंगटन में कुछ ही विदेशी नेताओं की मूर्तियां हैं जिनमें से एक यह भी है। महात्मा गांधी खुद कभी अमेरिका नहीं गई थे लेकिन यहां उनके विचारों का काफी असर रहा है। अमेरिका में सिविल राइट्स मूवमेंट चलाने वाले नोबेल प्राइज विजेता मार्टिन लूथर किंग जूनियर महात्मा गांधी से प्रेरित थे। उनका इस बात में विश्वास था कि दमन करने वाले के सामने सत्य की ताकत के साथ खड़े होना चाहिए। किंग ने अमेरिका में रंगभेद और नस्लवाद के खिलाफ लंबी लड़ाई लड़ी।

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