WHO ने लगाई HCQ के ट्रायल पर रोक
कुछ वक्त पहले तक मलेरिया के इलाज में इस्तेमाल की जाने वाली दवा हाइड्रॉक्सिक्लोरोक्वीन (HCQ) को कोरोना वायरस के इलाज में भी असरदार माना जा रहा था। हालांकि, अब विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने के इलाज के तौर पर HCQ के ट्रायल पर फिलहाल रोक लगा दी है। कुछ दिन पहले ही दुनियाभर के रिसर्च प्रकाशित करने वाली मशहूर पत्रिका द लैंसेट ने कहा था कि क्लोरोक्वाइन और HCQ से फायदा मिलने का कोई सबूत नहीं मिला है।
सेफ्टी डेटा की समीक्षा होगी
WHO के डायरेक्टर जनरल Tedros Adhanom ने कहा है कि एग्जिक्यूटिव ग्रुप ने फिलहाल सॉलिडैरिटी ट्रायल () के अंतर्गत HCQ पर अस्थायी रोक लगा दी है। पहले डेटा सेफ्टी मॉनिटरिंग बोर्ड सेफ्टी डेटा की समीक्षा करेगा। ट्रायल के बाकी हिस्से जारी रहेंगे। बता दें कि सॉलिडैरिटी एक इंटरनैशनल क्लिनिकल ट्रायल है जो विश्व स्वास्थ्य संगठन की पार्टनरशिप के साथ लॉन्च किया गया है। सॉलिडैरिटी ट्रायल में इलाज के चार विकल्पों की तुलना की जाएगा जिससे उनके COVID-19 पर होने वाले असर का आकलन किया जा सके।
कारगर नहीं है HCQ?
द लैंसेट ने दावा किया था कि मर्कोलाइड के बिना या उसके साथ भी क्लोरोक्वाइन और HCQ के इस्तेमाल से कोविड-19 मरीजों की मृत्युदर बढ़ जाती है। पत्रिका ने कहा कि ताजा रिसर्च करीब 15 हजार कोविड-19 मरीजों पर किया गया है। इससे पहले अमेरिका सरकार के विशेषज्ञों ने भी कहा था कि हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन कोरोना वायरस के संक्रमण से होने वाली बीमारी कोविड-19 के इलाज में कारगर नहीं है।