'धरती के फेफड़ों' में यूं हो रही कोरोना जांच

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ब्राजील में कोरोना वायरस को हल्के में लिया गया। अब हालात ऐसे हो चुके हैं कि देश में 22,288 लोगों की मौत हो चुकी है और कुल 3,52,523 लोग इस महामारी से संक्रमित हैं। शुरू में इस महामारी के केंद्र साउ पाउलो के औद्योगिक राज्य थे। अब यह पूरे देश में यह किलर वायरस फैल चुका है, जिसमें ऐमजॉन रेनफॉरेस्ट का इलाका भी शामिल है। ऐमजॉन के इन वर्षावनों (rainforests) का करीब 60 फीसदी हिस्सा ब्राजील में मौजूद है और अब यहां तेजी से टेस्टिंग की जरूरत आ पड़ी है। तस्वीरों में देखें, कैसे सरकारी हेल्थ वर्कर्स अंदरूनी इलाकों में जाकर लोगों को टेस्ट कर रहे हैं।

ब्राजील के आदिवासियों में कोरोना वायरस का पहला मामला ऐमजॉन इलाके में ही पाया गया था। 1960 के दशक में वेनेजुएला की सीमा के पास रहने वाले यानोमामी समुदाय के लोगों के बीच खसरे के प्रकोप से संक्रमित लोगों में से 9 फीसदी की मौत हो गई थी। कोरोना वायरस से बचाव के लिए कुछ समुदायों ने खुद को छोटे-छोटे समूहों में अलग कर लिया है और जंगल के अंदर ही रहने की योजना बनाई है। यही तरीका अपनाकर उन्होंने अतीत में आई महामारियों से खुद को बचाया था।

इन समुदायों के पास संक्रमण से बचने के संसाधन काफी कम हैं। इनके पास न तो हैंड सैनिटाइजर हैं और न ही साबुन। ऐसे में एकबार यह महामारी इनके बीच फैलती है, तो ऐमजॉन के पूरे आदिवासी इसकी चपेट में आ सकते हैं। इससे लाखों की संख्या में मौत हो सकती है, क्योंकि ये आदिवासी एक-दूसरे के करीबी संपर्क में रहते हैं। यही नहीं ये आदिवासी आपस में खाने के सामान से लेकर बर्तन तक साझा करते हैं।

ऐमजॉन के जंगल धरती के फेफड़े कहे जाते हैं और बड़ी संख्‍या में आदिवासी समुदाय के लोग इस जंगल में सदियों से रहते रहे हैं। कोरोना ने अब उनके अस्तित्‍व के लिए संकट पैदा कर दिया है। यही नहीं, ऐमजॉन के वर्षावनों की अंधाधुंध कटाई से वैज्ञानिकों को आशंका है कि इससे एक और महामारी पैदा हो सकती है। इकॉलजिस्ट डेविड लापोला ने आगाह किया है कि ऐमजॉन के वर्षावन संक्रमण फैलने का अगले हॉट जोन हो सकते हैं।

उनका कहना है कि जंगली इलाकों के शहरीकरण के कारण जूनोटिक बीमारी पैदा हो सकती है जो कि जानवरों से इंसानों में फैलते हैं। यह एक नए तरह के कोरोना वायरस को पैदा कर सकता है। दरअसल, ऐमजॉन में पिछले साल 85 प्रतिशत तक वनों की कटाई की गई है और 3900 वर्गमील जमीन पेड़ों की कटाई और खनन से तबाह कर दी गई है।

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