8% की दर से तेज होते चक्रवात, ये है वजह

8% की दर से तेज होते चक्रवात, ये है वजह
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वॉशिंगटन
क्लाइमेट चेंज के कारण दुनिया को भारी नुकसान उठाना पड़ेगा, ऐसी आशंका तो लंबे वक्त से जताई गई है लेकिन अब एक ताजा स्टडी में इसे साबित किया गया है। करीब 40 साल के डेटा के आधार पर इस स्टडी में दावा किया गया है कि जैसे-जैसे धरती का तापमान बढ़ता जा रहा है, हर्रिकेन, टाइफून और चक्रवात और ज्यादा खतरनाक होते जा रहे हैं। इनके कारण जान-माल को होने वाला नुकसान भी बढ़ने लगा है। हालांकि, इसके पीछे सिर्फ इंसानों की वजह से होने वाली ग्लोबल वॉर्मिंग नहीं बल्कि प्राकृतिक बदलाव भी हैं। स्टडी में दोनों कारणों के असर को एक साथ देखा गया है।

हर दशक में बढ़ रही तीव्रता
मैडिसन की यूनिवर्सिटी ऑफ विस्कॉनसिन और नैशनल ओशिऐनिक ऐंड अटमॉस्फीरिक ऐडमिनिस्ट्रेशन (NOAA) की स्टडी में यह बात सामने आई है। रीसर्चर्स ने पाया है कि तूफानों के हर्रिकेन की स्थिति में पहुंचने की घटनाएं हर दशक में 8% के रेट से बढ़ती जा रही हैं। इस स्टडी में यह बात भी सामने आई है कि ग्लोबल वॉर्मिंग की वजह से ऐसे इलाकों में समुद्र की सतह पर तापमान बढ़ा है जहां चक्रवात बनते हैं। तापमान में बदलाव और वायुमंडल में हो रहे बदलाव की वजह से चक्रवात इतना विकराल रूप लेते हैं।

अम्फान का लिया उदाहरण
हाल ही में भारत और बांग्लादेश में तबाही मचाने वाले का इस स्टडी में जिक्र किया गया है। अमेरिका के जॉइंट टाइफून वॉर्निंग सेंटर के डेटा के मुताबिक अम्फान बंगाल की खाड़ी में सबसे तीव्र चक्रवात था जिसमें हवाएं 270 किलोमीटर प्रतिघंटा की रफ्तार से चलीं। स्टडी में कहा गया है कि समुद्र का तापमान सामान्य से काफी ज्यादा है। वैज्ञानिकों का मानना है कि डेटा की कमी की वजह से इस दिशा में पुख्ता काम नहीं किया जा सका है।

(Source: CNN)

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