बच्चों से ज्यादा बड़ों को कोरोना से खतरा क्यों?
वयस्कों के मुकाबले बच्चों में संक्रमण और मृत्यु दर का खतरा कम होता है क्योंकि बच्चों की नाक में मौजूद एपिथिलियम टिशू में COVID-19 रिसेप्टर ACE2 की मात्रा बहुत कम होती है। अब तक दुनियाभर में कोरोना की चपेट में 52 लाख 56 हजार 273 लोग आ चुके हैं जबकि 3 लाख 36 हजार 817 लोगों की मौत हो चुकी है। सबसे ज्यादा इन्फेक्शन के मामले (16 लाख 30 हजार 519) अमेरिका में पाए गए हैं जबकि यहां 96 हजार 943 लोगों की मौत हो चुकी है।
बच्चों में कम होते हैं ये रिसेप्टर
एक नए अध्ययन के मुताबिक SARS-CoV-2 संक्रमण के लिए पहले स्तर के रिसेप्टर ACE2 की मात्रा और मानव शरीर की बनावट में यह राज छुपा है कि आखिर बच्चों के मुकाबले वयस्क इस संक्रमण से ज्यादा प्रभावित क्यों हो रहे हैं। अमेरिका के माउंट सिनाई में इकॉन स्कूल ऑफ मेडिसिन के अनुसंधानकर्ताओं ने बताया कि SARS-CoV-2 किसी भी होस्ट (सजीव शरीर) में प्रवेश करने के लिए रिसेप्टर ACE2 का उपयोग करता है।
उम्र के साथ बढ़ते हैं
‘जेएएमए’ पत्रिका में प्रकाशित इस अध्ययन के लिए चार से 60 साल आयु वर्ग के 305 मरीजों का न्यूयॉर्क के माउंट सिनाई हेल्थ सिस्टम में विश्लेषण किया गया। अनुसंधानकर्ताओं ने पाया कि बच्चों की नाक के एपिथिलियम टिशू में ACE2 की मात्रा कम होती है जो बढ़ती उम्र के साथ-साथ बढ़ती है। उनका कहना है कि इस अनुसंधान से यह गुत्थी सुलझ सकती है कि आखिरकार वयस्कों के मुकाबले बच्चों में COVID-19 संक्रमण की संख्या और इससे होने वाली मौतें कम क्यों हैं।