कैसा कोरोना? यहां रैली से लेकर वोटिंग तक भीड़

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जब दुनिया के बड़े-बड़े देश कोरोना वायरस को फैलने से रोकने में अपनी सारी ताकत झोंक रहे हैं, अफ्रीका के बुरुंडी में नजारा कुछ और ही है। बेहद पिछड़े हुए इस देश में कोरोना संकट को लेकर गंभीरता किस तरह से नदारद है, यह गुरुवार को यहां हुई वोटिंग में देखने को मिला। दरअसल, बुरुंडी में राष्ट्रपति पद के लिए चुनाव हो रहे हैं और शायद 58 साल में पहली बार लोकतांत्रिक बदलाव के लिए देश इतना उत्साहित है कि न इसे कोरोना फैलने की चिंता है और न पहले से बने हिंसा के माहौल का।

कोरोना वायरस के बीच हो रहे चुनाव को लेकर काफी आलोचना हो रही है। देश में कोरोना के 40 केस आ चुके हैं और एक मौत हो चुकी है। इसके बावजूद चुनाव प्रचार अभियान के दौरान बड़े स्तर पर रैलियां की गईं। यहां तक कि मार्च में एक सरकारी प्रवक्ता ने कहा था कि यहां कोई केस नहीं हुआ है और भगवान देश को बचा रहा है। देश में ज्यादा कड़े प्रतिबंध भी नहीं लगाए गए और सिर्फ लोगों को सलाहें जारी की गईं कि साफ-सफाई पर रखें और ज्यादा भीड़ में इकट्ठे न हों लेकिन रैलियों में खूब भीड़ हुई।

बुरुंडी में बुधवार को पोलिंग स्टेशन पर सुबह 6 बजे से वोटिंग शुरू हो गई और लोगों की लंबी कतारें लगने लगीं। हिंसा और पक्षपातपूर्ण चुनावों की आशंका के बीच बड़ी संख्या में लोग वोट डालने पहुंचे। इस दौरान सोशल डिस्टेंसिंग या मास्क जैसा कुछ भी देखने को नहीं मिला। पोल ऑब्जर्वर के तौर पर 53 विदेशी राजदूतों को रहने की इजाजत दी गई। वोटिंग के पहले फेसबुक, ट्विटर और वॉट्सऐप ब्लॉक कर दिए गए।

देश में यूं तो 15 साल बाद यह बदलाव आने की उम्मीद है जब राष्ट्रपति कुरुनजीजा अपने पद से हटेंगे। कुरुनजीजा की सरकार पर मानवाधिकारों के उल्लंघन का आरोप लगता रहा है। हालांकि, वह एक नया पद संभालेंगे जो अभी-अभी बनाया गया है। यह पद होगा ‘सुप्रीम गाइड टू पेट्रिऑटिज्म’। राष्ट्रपति पद के लिए 7 उम्मीदवारों में से सत्ताधारी CNDD-FDD पार्टी उम्मीदवार इवारिस्ती दायिशिमिए और विपक्ष नेता ऐगथन वासा को सबसे आगे माना जा रहा है।

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