बन जाए वैक्सीन, वह खुद पर लगवा रहा इंजेक्शन

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लंदन
एक इंजेक्‍शन जिसके बारे में ये पता ना हो कि वह शरीर पर कैसा असर डालेगा। क्‍या आप वैसा इंजेक्‍शन लगवाने को तैयार होंगे? किसी ना किसी को तो हिम्‍मत दिखानी ही पड़ेगी। इंसानियत के लिए अपने शरीर को खतरे में डालना होगा। कोरोना वायरस वैक्‍सीन के ट्रायल में जो वालंटियर्स हिस्‍सा ले रहे हैं, वो असली हीरो हैं।

इन वालंटियर्स की बहादुरी को सलाम कीजिए क्‍योंकि वे वो खतरा मोल ले रहे हैं जिससे हमारी-आपकी सुरक्षा का रास्‍ता निकलेगा। मगर वे खुद को हीरो मानने को भी तैयार नहीं। उन्‍हें तो लगता है कि ये बहुत सारे लोगों की मदद करने का बस एक मौका है। 36 साल के जॉन ज्‍यूक्‍स पर सबको गर्व होना चाहिए। वे उन 500 लोगों में से हैं जो अपने शरीर पर वैक्‍सीन की टेस्टिंग होने दे रहे हैं।

‘सब घबराएंगे तो वैक्‍सीन कैसे बनेगी?’जॉन की नम्रता देखिए। कहते हैं, “मुझे नहीं लगता जो मैं कर रहा हूं वो कोई हीरो जैसा काम है। मैं उस स्थिति में हूं जहां मैं बहुत सारे लोगों की मदद कर सकता हूं और ऐसा मौका चूकना नहीं चाहिए। इस वायरस ने हमारी जिंदगी पर जैसा असर डाला है, उससे कोई बच नहीं सकता। अगर हर कोई वैक्‍सीन ढूंढने में मदद से कतराएगा तो शायद वैक्‍सीन मिल ही ना पाए।”

नर्स पार्टनर ने बताया, चल रहा ट्रायलजॉन को अपनी पार्टनर से वैक्‍सीन के ट्रायल के बारे में पता चला था। उनकी पार्टनर नर्स हैं। इन वालंटियर्स को कोई मुआवजा नहीं मिलेगा, बल्कि उन्‍हें अपना वक्‍त अलग से देना होगा। सोमवार को जॉन के शरीर में इंजेक्‍शन लगाया जाएगा। इसके बाद भी वह नॉर्मल जिंदगी जीते रहेंगे।

इंजेक्‍शन लगने के बाद वह सीधे काम पर चले जाएंगे। जॉन को खतरे का अंदाजा है मगर वो डरते नहीं। उन्‍होंने कहा, “ट्रायल में रिस्‍क तो है मगर हर ऐसी चीज में खतरा तो होता ही है।” उनके मुताबिक, पूरी दुनिया के हालात नॉर्मल करने का यही बेस्‍ट चांस है।

ट्रायल सफल हुआ तो और होगी टेस्टिंगब्रिटेन में फर्स्‍ट राउंड के इस ट्रायल के बाद एक और स्‍टडी होगी। उसमें वैक्‍सीन का 5,000 वालंटियर्स पर टेस्‍ट किया जाएगा। एक्‍सपर्ट्स के मुताबिक, यह वैक्‍सीन इसी वायरस का एक कमजोर रूप है जो चिम्‍पांजियों में सर्दी-जुकाम पैदा करता है। इंसानी कोशिकाओं में यह वो प्रोटीन बनाते हैं जो कोरोना वायरस के बाहरी सतह पर ‘कीलें’ बनाते हैं। अगर ट्रायल सफल रहा तो वालंटियर्स का इम्‍यून सिस्‍टम इन ‘स्‍पाइक प्रोटीन्‍स’ को पहचानने लगेगा। फिर ये प्रोटीन कोरोना वायरस से लड़ेंगे।

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