जल संसाधन विभाग में अधिकारी कर रहे है मनमानी , करोड़ो का हो रहा बंदरबांट

जल संसाधन विभाग में अधिकारी कर रहे है मनमानी , करोड़ो का हो रहा बंदरबांट
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रायपुर — जलसंसाधन विभाग जशपुर द्वारा जशपुर जिले के शेखर पुर और डाँड़ पानी मे बनाये जा रहे 2 वृहद प्रोजेक्ट के भुगतान को लेकर विवाद जो शुरू हुआ खत्म होने का नाम नही ले रहा है।इस बार जलसंसाधन विभाग के ईई दी आर दर्रों के विरूद्ध विभाग के आला अधिकारियों को गुमराह करने के लिए विभाग को भ्रामक जानकारी देने के आरोप लगे हैं।
दरअसल इन दोनों प्रोजेक्ट के सर्वेक्षण के बाद होने वाले भुगतान को लेकर पूरी लड़ाई है।प्रोजेक्ट की कंसल्टेंट कम्पनी द्वारा सर्वेक्षण किये गए प्रोजेक्ट का 15 करोड़ का भुगतान चाहती है लेकिन विभाग के अधिकारी भुगतान देने को राजी नही हैं।इस मुद्दे पर इसी विभाग के दो ईई आमने सामने हैं। जलसंसाधन के ईई विजय जमनिक द्वारा विभाग के उच्च अधिकारियों को लिखित में बताया है कि प्रोजेक्ट के सर्वेक्षण का कोई भी जमीनी काम नही हुआ है क्योंकि सर्वेक्षण के बाद इससे सम्बन्धित एक भी दस्तावेज सम्बन्धित शाखाओं के पास नही है जबकि दुसरे ईई डी आर दर्रो ने विभाग को यह जानकारी दे दी कि उन्होंने सारे दस्तावेज जमा करा दिए हैं जो कि पूर्ण रूप से गलत और भ्रामक है ।

आपको बता दें कि वर्तमान में जलसंसाधन विभाग में दो ईई हैं। डीआर दर्रो का यहाँ से तबादला हो जाने के बाद उन्होंने न्यायालय से ट्रांसफर का स्थगन आदेश ले लिया जबकि इनके ट्रांसफर के तुरन्त बाद शासन के निर्देश पर विजय जमनिक बतौर ईई जशपुर पदभार सम्हाल लिए थे ।इस तरह वर्तमान में इस विभाग में जिले में दो कार्यपालन अभियंता हैं।

लेकिन सवाल ये नही है बल्कि सवाल ये है कि 15 करोड़ के भुगतान के लिए विभाग के उच्चाधिकारियो से आखिर झूठ बोलने की जरूरत क्यों पड़ी ? और फिर इस झूठ को उजागर भी कोई और नही विभाग के ही अधिकारी कर रहे हैं ।

आप भी पढ़िये 15 करोड़ के भुगतान की कवायद का एक और सच जिसे उजागर किसी आम आदमी या जनप्रतिनिधि ने नही बल्कि विभाग के ही अधिकारियो ने किया है ध्यान देने वाली बात यह है कि बार-बार अधिकारी द्वारा शासन प्रशासन को आगाह करते हुए पत्र भी जारी किया लेकिन इसके बावजूद डीआर दरो के खिलाफ कोई भी प्रतीकात्मक कार्रवाई नहीं की गई 5 सालों से जमे और भ्रष्टाचार के कई गंभीर आरोपों से घिरे अभियंता डीआर दरो के खिलाफ कोई भी कार्रवाई का ना होना सरकार के काम करने के तरीके पर कई सवालिया निशान खड़े करती हैं उम्मीद थी नई सरकार के आने से भ्रष्टाचार पर लगाम लगेगी भ्रष्ट अधिकारियों पर कार्रवाई होगी लेकिन हो रहा है ठीक उल्टा भ्रष्टाचार अपनी आर्थिक स्थिति को मजबूत कर वही अधिकारी अब पैसों के दम पर सरकार को ठेंगा दिखा रहा है और हालात यह है कि जसपुर में दो एग्जीक्यूटिव इंजीनियर तैनात हो चुके हैं एक की नियुक्ति कि सारे पैमाने स्थानांतरण नीति के खिलाफ है यानी दिया लगातार 5 सालों से एक ही जगह पर जमे हुए हैं उनके द्वारा बनाए गए बांध एनीकेट पुलिया सब या तो टूट चुके हैं या तो खस्ताहाल हैं पूर्व के अपने आकाओं को खुश करने के लिए निर्माणाधीन कार्यो के लिए सुकृति राशि का उपयोग स्वागत द्वार बनाने के लिए किया गया बिना अनुमति हवाई सर्वेक्षण करा दिया गया अधिकारी अगर दस्तखत करने से इनकार करता है तो उसका स्थानांतरण कर दिया गया 15 करोड़ जैसी बड़ी राशि का आहरण करने की नाकाम कोशिश की जा रही है उसके बाद सरकार के कानों पर जूं न रेंगना या तो सरकार की सुस्त अवस्था को बताता है या फिर सब कुछ जानने पर भी अंजान बने रहने की ओर इशारा करता है, लेकिन ऐसे हालात जब होते हैं । तब सीधे सीधे सवाल उठता है प्रदेश के मुखिया जिन्होंने भ्रष्टाचार मुक्त प्रदेश की परिकल्पना करी थी वह पूरी होती नहीं दिख रही है।

Source: Chhattisgarh

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