हवाई यात्रा से कॉर्बन उत्सर्जन में US पीछे: स्टडी

हवाई यात्रा से कॉर्बन उत्सर्जन में US पीछे: स्टडी
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वॉशिंगटन
स्वीडिश लोग इन दिनों एक खास मुहिम चला रहे हैं जिसमें हवाई यात्राओं के कारण होनेवाले कॉर्बन उत्सर्जन को कम करने पर जोर दिया जा रहा है। इसके लिए फ्लाइंग शेम का प्रयोग किया जा रहा है। हालांकि, ज्यादातर अमेरिकन इस मुहिम में शायद साथ न दें। अगर आप पूछें कि क्या इन छुट्टियों में अमेरिकन अपनी नानी-दादी से मिलने के लिए फ्लाइट लेने पर शर्म महसूस कर रहे हैं? इसका संक्षिप्त जवाब है- नहीं। हालांकि, अगर आप लग्जरी फ्लाइट का प्रयोग करते हैं तो यह एक दूसरा मुद्दा हो सकता है।

अधिक करनेवालों के कारण ज्यादा कॉर्बन उत्सर्जन
नियमित हवाई यात्रा करनेवाले एक छोटे समूह के 12% अमेरिकिन साल में 6 से अधिक हवाई यात्रा करते हैं। एक नए विश्लेषण के अनुसार, ये हवाई यात्री देश के कुल हवाई यात्रा का दो-तिहाई हिस्सा हैं। इसके साथ ही कुल हवाई उत्सर्जन का भी यह दो-तिहाई हिस्सा है। इंटरनैशनल काउंसिल ऑफ क्लीन ट्रांसपॉर्टेशन (आईसीसीटी) के द्वारा जारी नए विश्लेषण में यह आंकड़ा सामने आया है। इस समूह के प्रत्येक हवाई यात्री एक साल में 3 टन कॉर्बन डाईऑक्साइड का उत्सर्जन कर रहे हैं। नियमित तौर पर हवाई यात्रा करनेवाले ऐसे लोग जो साल में 9 या उससे अधिक बार यात्रा करते हैं, कॉर्बन उत्सर्जन में उनकी संख्या और भी अधिक है।

में अमेरिका कई देशों से पीछे
प्रत्येक अमेरिकी नागरिक द्वारा किया जा रहा कुल कॉर्बन उत्सर्जन में हवाई यात्रा सबसे बड़ा कारण नहीं है। इसकी वजह है कि लगभग आधे अमेरिकन तो हवाई यात्रा आम तौर पर करते ही नहीं हैं। इसी कारण से अमेरिका का पर कैपिटा हवाई कॉर्बन उत्सर्जन अपेक्षाकृत कम है। विश्व रैंकिंग में वह 11वें स्थान पर आता है। दूसरे अधिक आय वर्ग वाले देश जैसे सिंगापुर, फिनलैंडस आइसलैंड जैसे देशों का रैंक अमेरिका से भी पहले है। तेजी से बढ़ती हुई अर्थव्यवस्था जैसे भारत और चीन में जहां मध्य आय वर्ग के लोग काफी हवाई यात्रा करते हैं का कॉर्बन उत्सर्जन भी अधिक है।

हवाई उत्सर्जन को कम करने के लिए तकनीकी उपाय
विमानों के कारण होनेवाले हवाई कॉर्बन उत्सर्जन को कम किया जा सकता है अगर ज्यादा से ज्यादा संख्या में तकनीकी रूप से उन्नत विमानों का प्रयोग किया जाए। ऐसे उन्नत तकनीक वाले कम ईंधन से चलनेवाले विमान के अधिक से अधिक प्रयोग से हवाई उत्सर्जन पर नियंत्रण किया जा सकता है। हालांकि, मुश्किल यह है कि हवाई विमानों का प्रयोग जिस गति से बढ़ रहा है उस अनुपात में कम ईंधन खपत वाले विमानों का प्रयोग नहीं हो रहा।

Source: International

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