ब्रेग्जिट डील का ऐलान, लेकिन अभी भी कई बाधा

ब्रेग्जिट डील का ऐलान, लेकिन अभी भी कई बाधा
Facebooktwitterredditpinterestlinkedinmail

लंदन28 देशों के यूरोपियन यूनियन (EU) से यूनाइटेड किंगडम (UK) को बाहर निकलना है लेकिन समस्या ब्रेग्जिट डील के प्रावधानों को लेकर है। लंबे इंतजार के बाद ब्रिटेन और यूरोपीय संघ के बीच फ्रेश ब्रेग्जिट डील पर सहमति बन गई है। ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन ने यूरोपियन यूनियन (EU) से अलग होने के लिए ब्रेग्जिट डील पर सहमति की घोषणा भी कर दी है। ब्रिटेन के दो पीएम बदले और अब नए पीएम बोरिस जॉनसन क्या इस डील को संसद में पास करा पाएंगे, कह पाना मुश्किल है। दरअसल, इसे मंजूरी के लिए यूरोपीय और ब्रिटिश संसद की मंजूरी की जरूरत होगी। सभी पक्ष बोरिस और EU की इस नई डील के समर्थन में नहीं हैं। उत्तरी आयरलैंड बैकस्टॉप का मसला अब भी अनसुलझा है।

उधर, डील से उत्साहित जॉनसन ने कहा है कि अब ब्रिटेन को आगे बढ़ने का अवसर मिलेगा और हम दुनियाभर के देशों के साथ व्यापारिक संबंध स्थापित कर पाएंगे। ब्रिटिश संसद में वोटिंग के लिए डील को शनिवार को पेश किया जाएगा। यूरोपीय संघ के 28 नेताओं की बैठक से पहले यूरोपीय यूनियन के अध्यक्ष ने ट्वीट किया, ‘जहां चाह है वहां डील है। हम एक हैं। यह यूरोपीय संघ और ब्रिटेन दोनों के लिए निष्पक्ष और संतुलित समझौता है।’

ब्रेग्जिट में मुश्किलें अब भी
– पूर्व PM टरीजा मे से जिन समझौतों पर सहमति बनी थी, उनके आधार पर ब्रिटिश संसद से डील को पास कराना अब भी बड़ी चुनौती है।

– ब्रेग्जिट पर सहमति के लिए ब्रिटेन के सामने अब उत्तरी आयरलैंड की ओर से भी चुनौती है। ब्रेग्जिट के बाद आयरलैंड 2 हिस्सों में होगा जिसमें एक पर ब्रिटेन और दूसरे पर ईयू का अधिकार होगा। इसका मतलब है कि बॉर्डर पर उत्पादों की चेकिंग होगी, जिसके लिए दोनों में से कोई पार्टी सहमत नहीं है।

बैकस्टॉप पॉलिसी के तहत यह व्यवस्था है कि बॉर्डर फिलहाल खुले रहें और यूरोपियन यूनियन के लिए सिंगल मार्केट बैकडोर नहीं बनेंगे।

पढे़ं:

बैकस्टॉप पॉलिसी और इसके विकल्प

नॉर्दर्न आइरिश बैकस्टॉप : इसके तहत प्रस्ताव है कि क्षेत्र यूरोपियन यूनियन का सिंगल मार्केट बना रहेगा। नॉर्दर्न आयरलैंड की डेमोक्रैटिक यूनियनिस्ट पार्टी (DUP) ने इसे अस्वीकार कर दिया है।

यूके-आधारित बैकस्टॉप: इस परिस्थिति में पूरा देश ही यूरोपियन यूनियन के साथ रहे। इससे आशंका है कि यूरोपियन यूनियन का वर्चस्व बना रहेगा और ब्रिटेन को ऐसे में ईयू की कई शर्तों को मानना होगा।

जॉनसन ने बैकस्टॉप पॉलिसी के लिए तय किए प्रावधान

1. ब्रिटिश पीएम बोरिस जॉनसन ने नई तो कर दिया, लेकिन इसे भी DUP से समर्थन की जरूरत है।

2. जॉनसन की डील के अनुसार, नॉर्दर्न आयरलैंड यूके के अंतर्गत ही रहेगा, लेकिन यूके के कस्टम क्षेत्र से NI में प्रवेश के लिए टैरिफ लागू होगा अगर वह यूरोपियन यूनियन के साथ जाना चाहेंगे तो।

3. नॉर्दर्न आयरलैंड की सरकार के पास हर 4 साल में इस पर वोट करने का अधिकार होगा।

नई ब्रैग्जिट डील तक कैसे पहुंचा ब्रिटेन
23 जून 2016- जनमत संग्रह में ब्रिटिशों ने EU से अलग होने को वोट किया। इसके बाद कंजर्वेटिव पीएम डेविड कैमरन ने अगल ही दिन इस्तीफा दे दिया। टरीजा मे ने उनकी जगह ली।

29 मार्च 2017- मे ने 29 मार्च 2019 ब्रेग्जिट डेडलाइन तय की।

8 जून- संसद में कंजर्वेटिव्स ने बहुमत खोया। सत्ता में बने रहने के लिए उन्हें आयरलैंड की हार्डलाइन DUP से डील करने की जरूरत हुई।

13 नवंबर 2018- ब्रिटेन और EU डिवॉर्स डील पर सहमत हुए लेकिन मे की अपनी पार्टी में कुछ लोग ही इसके समर्थन में आए।

मे की डील तीन बार UK संसद में फेल
15 जनवरी 2019- संसद में पहली वोटिंग और डील को खारिज कर दिया गया।
12 मार्च- हाउस ऑफ कॉमन्स ने दोबारा मे की डील ठुकराई।
29 मार्च- तीसरी बार संसद ने डील को रिजेक्ट किया। EU ब्रेग्जिट को पहले 22 मार्च और बाद में 31 अक्टूबर तक की देरी करने पर सहमत हुआ।
24 मई- मे ने कंजर्वेटिव लीडर का पद छोड़ने की घोषणा की।

इसके बाद जॉनसन ने कमान संभाली
24 जुलाई- बोरिस जॉनसन पीएम बने। उन्होंने 31 अक्टूबर तक डील के साथ या बिना डील के ब्रेग्जिट का वादा किया।
2 अक्टूबर- जॉनसन ने फाइनल ब्रेग्जिट प्रस्ताव रखा पर EU ने खारिज कर दिया।
17 अक्टूबर- EU समिट से कुछ घंटे EU प्रेजिडेंट ने के मसौदे पर सहमति को लेकर ट्वीट किया।

अब 19 अक्टूबर को ब्रिटिश संसद का विशेष सत्र बुलाया गया है, जिसमें जॉनसन की डील पर वोटिंग होगी।

डील पर समर्थन के लिए चाहिए 320 वोट
बोरिस जॉनसन को फिलहाल इस डील को लागू करने के लिए भी 320 वोटों की जरूरत है। ब्रिटेन की 650 सदस्यों वाली संसद में से 320 वोट चाहिए होंगे। इसके साथ DUP के भी 10 वोट उनकी पार्टी के लिए जरूरी है, लेकिन डीयूपी ने इससे इनकार कर दिया।

विपक्षी दल इस फॉर्म्युले पर सहमत नहीं
मुख्य विपक्षी लेबर पार्टी ने भी इसका विरोध करते हुए नए रेफरेंडम की मांग संसद में की है। स्कॉटिश नैशनल पार्टी और लिबरल डेमोक्रैट्स ने भी डील का विरोध किया है। अगर इन सबके बावजूद डील रिजेक्ट हो जाती है तो जॉनसन को 31 अक्टूबर को बिना किसी समझौते के यूरोपियन यूनियन से अलग होने के लिए सहमति लेनी होगी। अगर संसद ब्रेग्जिट पर बिना डील के आगे बढ़ने पर सहमत न हुई तो ब्रेग्जिट के लिए 31 जनवरी 2020 तक का समय मांगना होगा।

Source: International

Facebooktwitterredditpinterestlinkedinmail

watchm7j

Leave a Reply

Your email address will not be published.