फेक न्यूज से राज्य के साथ देश और दुनिया प्रभावित, पीडि़त और चिंतित : भूपेश बघेल

फेक न्यूज से राज्य के साथ देश और दुनिया प्रभावित, पीडि़त और चिंतित : भूपेश बघेल
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रायपुर :  मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल ने कहा कि वर्तमान समय में फेक न्यूज से केवल छत्तीसगढ़ ही नहीं है, बल्कि पूरा देश और पूरी दुनिया भी प्रभावित, पीडि़त और चिंतित है। पहले के समय में केवल होली के दिनों में होली खबरे छपती थी, जो गलतफहमियां और भ्रम पैदा करती थी, लेकिन आज फेक न्यूज एक उद्योग बन गया है। यह जेब काटने, हिंसा फैलाने और चुनाव जीतने का माध्यम बन चुका है, लेकिन अब लोग भी समझने लगे हैं कि किस न्यूज को कहां तक सही माना जाए।

मुख्यमंत्री ने अपने ये उद्गार आज यहां कुशाभाऊ ठाकरे पत्रकारिता एवं जनसंचार विश्वविद्यालय, रायपुर के द्वारा ‘‘वर्तमान परिदृश्य में फेक न्यूज की चुनौतियां’’ विषय पर आयोजित संगोष्ठी में व्यक्त किए। उन्होंने बताया वे स्वयं भी कई बार ऐसे भ्रामक खबरों में से उन्हीं समाचारों को सही मानते हैं, जब दूसरे दिन उसे समाचार पत्रों में पढ़ लेते हैं। उन्होंने कहा कि खेद की बात है कि आज हमारे पढ़े-लिखे नौजवान फेक न्यूज से सर्वाधिक प्रभावित और पीडि़त है। इसका एक बड़ा कारण यह भी है कि आज के युवा समाचार पत्र नहीं पढ़ते और सोशल मीडिया की खबरों को सही मान लेते हैं। मुख्यमंत्री ने फेक न्यूज के विरूद्ध लड़ाई लड़ रहे बीबीसी तथा अन्य प्रतिष्ठित मीडिया समूहों की तारीफ की और इस जनजागरण के लिए अपनी शुभकामनाएं दी। उन्होंने कहा नागरिकों और युवाओं से कहा कि विषय की गहराई तक जाएं।

मुख्यमंत्री ने कहा कि यह भ्रामक विज्ञापनों का ही असर था, जिसके कारण छत्तीसगढ़ में चिटफड़ कम्पनियां ने राज्य का नागरिकों की बेशकीमती दस हजार करोड़ रूपए की राशि लूट कर ले गए। उनके विज्ञापनों का प्रचार-प्रसार होता रहा और उनके आयोजनों में राजनीतिक लोगों की उपस्थिति भी मददगार बनीं। उन्होंने कहा इस बात पर राजनीति अधिक हुई, लेकिन किसी ने उनकी चिन्ता नहीं की कि इनमें से किसी की बेटी के शादी के लिए पैसे थे, बच्चों के पढ़ाई के लिए पैसे थे, बुढ़ापा काटने के लिए पेंशन का पैसा था या उसने अपनी जमीन बेचकर पैसा इकट्ठा किया था। उन्होंने कहा हमें ऐसे भ्रामक विज्ञापनों से बचने की जरूरत है। मुख्यमंत्री ने कहा सोशल मीडिया के नियमों की कमी से राज्य को मिलने वाले टैक्स का पैसा नहीं मिल पा रहा है। इसी तरह कानून और व्यवस्था बनाए रखने में साइबर संबंधी नियमों का बेहतर उपयोग कैसे किया जा सकता है। इस विषय पर वे केन्द्र सरकार से चर्चा करेंगे।

संगोष्ठी में प्रमुख प्रवक्ता के रूप में फेकल्टी ऑफ मास कम्युनिकेशन, एस.जी.टी. युनिवर्सिटी गुड़गांव के डीन प्रो. (डॉ.) मुकेश कुमार ने चिन्ता व्यक्त करते हुए कहा कि कहीं हम चुनाव के दरम्यान होने वाले पेड न्यूज की तरह आने वाले समय में फेक न्यूज को भी तो नहीं भूलने लगेंगे। उन्होंने कहा ‘पोस्ट ट्रूथ’ शब्द का तात्पर्य ऐसे समय में होता है जब तथ्यों का नहीं, बल्कि भावनाओं का जोर होता है। दुनिया भर में इमोशन या भावनाओं के माध्यम से हिंसा, उन्माद और एक-दूसरे के प्रति नस्ल, जाति, रंग और धर्म आदि के नाम पर नफरत फैलाने का वातावरण बनाया जाता है। ऐसा समय फेक न्यूज के लिए उर्वर होता है। उन्होंने खेद व्यक्त करते हुए कहा कि मीडिया भी अब प्रोपेगेंडा मॉडल बनाकर शासक और बाजार के लिए सहमति बनाने का कार्य करने लगा है, जबकि उसका असली कार्य समाज को आगे लाने और जनजागरूकता बढ़ाने का है। उन्होंने कहा कि ऐसे समय में जरूरत है कि मीडिया लिटरेसी बढायी जाए जिससे मीडिया का बेहतर उपयोग हो सके।

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