शिशु मृत्यु दर में और कमी लाने विशेष कार्ययोजना की जरूरत : अजय चंद्राकर

शिशु मृत्यु दर में और कमी लाने विशेष कार्ययोजना की जरूरत : अजय चंद्राकर
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रायपुर :स्वास्थ्य मंत्री श्री अजय चंद्राकर ने आज यहां ’’नान्हे लईका सुरक्षा योजना’’ पर केन्द्रित दो दिवसीय कार्यशाला का शुभारंभ किया। उन्होंने इस अवसर पर कहा कि राज्य में शिशु मृत्यु दर को और कम करने के लिए विशेष कार्ययोजना तैयार कर उस पर अमल की जरूरत है। श्री चंद्राकर ने कहा कि छत्तीसगढ़ में पिछले 14 वर्षो में मातृ मृत्यु दर और शिशु मृत्यु दर में अन्य राज्यों  की अपेक्षा उल्लेखनीय कमी दर्ज की गई है। स्वास्थ्य विभाग और महिला एवं बाल विकास विभाग के अधिकारियों और कर्मचारियों ने इसके लिए सराहनीय कार्य किया है। उन्होंने कहा कि ’’नान्हे लईका सुरक्षा योजना’’ के बेहतर क्रियान्वयन और छत्तीसगढ़ में नवजात शिशु, शिशु मृत्यु दर तथा स्टील बर्थ को रोकने के लिये एक्शन प्लॉन बनाया जा रहा है। वर्ष 2030 तक नवजात शिशु मृत्यु को रोकना और नवजात शिशु मृत्यु दर को एक अंक तक लाना इसका मुख्य उद्देश्य है। कार्यक्रम में स्वास्थ्य संचालक श्रीमती रानू साहू ने अपने विचार व्यक्त किए।

कार्यक्रम में यूनिसेफ के कंट्री प्रतिनिधि डॉ. गगन गुप्ता ने कहा कि राज्य में टीकाकरण राष्ट्रीय औसत से बेहतर है, मातृ मृत्यु दर राष्ट्रीय औसत के करीब है। उन्होंने मितानिन आधारित होम बेस्ड न्यूबॉर्न केयर को देश में मॉडल के रूप में प्रस्तुत किया। उन्होंने शिशु मृत्यु दर को कम करने के विभिन्न उपायों की जानकारी कार्यशाला में दी। उन्होंने कहा कि शिशु के जन्म के तुरंत बाद स्तनपान कराना चाहिए।

डॉ. गुप्ता ने 5 वर्ष तक की उम्र के बच्चों में मृत्यु दर में कमी लाने तथा विशेष नवजात शिशु गहन चिकित्सा इकाई के सुदृढ़ीकरण की आवश्यकता बतायी। दो दिन चलने वाले इस कार्यशाला में नवजात व शिशु मृत्यु दर कम करने के लिये जननी सुरक्षा योजना के माध्यम से संस्थागत प्रसव को बढ़ावा देना, मितानिनों के द्वारा समुदाय स्तर पर उच्च जोखिम वाली गर्भवती महिलाओं को चिन्हांकित कर उन्हें स्वास्थ्य की बेहतर देखभाल के लिए अस्पताल में रिफर करना, संस्थागत नवजात देखभाल को बढ़ावा देने, विभिन्न स्तरों में विशेष नवजात शिशु देखभाल इकाई जिला अस्पताल, सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्रों में न्यूबॉर्न स्टेबलाईजेशन यूनिट तथा प्रसव केन्द्रों में न्यूबॉर्न केयर कार्नर स्थापित करने की जरूरत बतायी गई।

प्रदेश में अब तक 18 विशेष नवजात शिशु देखभाल इकाई, 118 न्यूबॉर्न स्टेबलाईजेशन यूनिट, 910 न्यूबॉर्न केयर कॉर्नर स्थापित किये गये हैं। कार्यशाला में बताया गया कि समुदाय स्तर पर उच्च जोखिम वाली गर्भवती महिलाओं को मितानिन के माध्यम से संस्था में प्रसव के लिए प्रेरित करना व विशेष नवजात शिशु देखभाल इकाई से डिस्चार्ज नवजात शिशु को कम से कम चार बार गृह भेंट कर देखभाल की जानी चाहिए।

कार्यशाला में मिशन संचालक राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन डॉ. सर्वेश्वर नरेन्द्र भूरे, संचालक चिकित्सा शिक्षा डॉ. अशोक चंद्राकर, संचालक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण प्रशिक्षण संस्थान डॉ. प्रशांत श्रीवास्तव, राज्य कार्यक्रम अधिकारी (शिशु) डॉ. अमर सिंह ठाकुर, यूनिसेफ के श्री प्रशांता दास, एम्स दिल्ली के विभागाध्यक्ष शिशु रोग डॉ. अशोक देवरारी, भारत सरकार के डॉ. रेणु श्रीवास्तव सहित संभागीय संयुक्त संचालक, मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी, सिविल सर्जन, जिला आरएमएनएचएस कंसलटेंट, विशेष नवजात शिशु गहन चिकित्सा इकाई के नोडल अधिकारी और शिशु रोग विशेषज्ञ और स्त्री रोग विशेषज्ञ चिकित्सक उपस्थित थे ।

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