छत्तीसगढ़ के जंगलों में ’हरे सोने’ के संग्रहण की तैयारी पूर्णता की ओर : इस वर्ष 16.72 लाख मानक बोरा पत्तों की आवक होने का अनुमान

छत्तीसगढ़ के जंगलों में ’हरे सोने’ के संग्रहण की तैयारी पूर्णता की ओर : इस वर्ष 16.72 लाख मानक बोरा पत्तों की आवक होने का अनुमान
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रायपुर : राज्य के जंगलों में मूल्यवान हरे सोने के नाम से प्रसिद्ध तेन्दूपत्ता संग्रहण की तैयारी तेजी से चल रही है। इस वर्ष तेन्दूपत्ता संग्रहण कार्य में 13 लाख 50 हजार ग्रामीणों और वनवासी परिवारों को रोजगार देने और उनके माध्यम से 16 लाख 72 हजार मानक बोरा तेन्दूपत्ते की आवक का अनुमानित लक्ष्य निर्धारित किया गया है। ये परिवार 901 प्राथमिक वनोपज सहकारी समितियों में सदस्य के रूप में शामिल हैं। उन्हें संग्रहण कार्य में एक करोड़ 12 लाख मानव दिवस का रोजगार देने का लक्ष्य है।
छत्तीसगढ़ राज्य लघु वनोपज सहकारी संघ के अधिकारियों ने आज यहां बताया कि संग्रहण कार्य की सभी तैयारियां लगभग पूरी हो गई हैं। मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह द्वारा की गई घोषणा के अनुसार इस वर्ष तेन्दूपत्ता संग्राहकों के लिए शासकीय भूमि पर संग्रहण कार्य का पारिश्रमिक 1800 रूपए प्रति मानक बोरा से बढ़ाकर 2500 रूपए कर दिया गया है। इसके साथ ही रमन सरकार ने ग्रामीणों की निजी भूमि पर तेन्दूपत्ता संग्रहण के लिए इस वर्ष प्रति मानक बोरा 2600 रूपए ( छब्बीस सौ रूपए) पारिश्रमिक देने का भी निर्णय लिया है। वन मंत्री श्री महेश गागड़ा विभागीय अधिकारियों के साथ तेन्दूपत्ता संग्रहण कार्य की तैयारियों की नियमित रूप से समीक्षा कर रहे हैं। संग्राहकों से अपील की गई है कि वे संग्रहण केन्द्रों (फड़ों) में अच्छी क्वालिटी का पत्ता लेकर आएं।
इस बीच मुख्य सचिव श्री अजय सिंह ने यहां मंत्रालय (महानदी भवन) से प्रदेश के सभी जिला कलेक्टरों, वन मंडलाधिकारियों और जिला वनोपज सहकारी यूनियनों के प्रबंध संचालकों को परिपत्र भेजकर संग्रहण कार्य के सुचारू संचालन के लिए जरूरी निर्देश दिए हैं। उन्होंने परिपत्र में अधिकारियों को छत्तीसगढ़ की अंतर्राज्यीय सीमाओं पर विशेष रूप से ध्यान देने के निर्देश दिए हैं और कहा है कि इन सीमावर्ती इलाकों में तेन्दूपत्ते के अवैध संग्रहण और अवैध परिवहन पर अंकुश लगाने के लिए अधिकारियों को पर्याप्त सतर्कता बरतनी चाहिए। उन्होंने परिपत्र में  अधिकारियों को तेन्दूपत्ता संग्रहण केन्द्रों (फड़ों) और गोदामों का नियमित निरीक्षण सुनिश्चित करने के लिए भी कहा है। मुख्य सचिव ने परिपत्र में यह भी कहा है कि प्रत्येक जिले में तेन्दूपत्ता तोड़ने की अवधि लगभग 30 दिनों की होती है। इसलिए ग्रामीणों को अधिक से अधिक संख्या में तेन्दूपत्ता संग्रहण के लिए प्रोत्साहित किया जाए, ताकि उन्हें इस कार्य में ज्यादा से ज्यादा पारिश्रमिक मिल सके। जितना ज्यादा तेन्दूपत्ता तोड़ा जाएगा, उतनी ही अधिक राशि उन्हें पारिश्रमिक के रूप में मिलेगी और ढाई हजार रूपए के पारिश्रमिक के साथ अलग से प्रोत्साहन पारिश्रमिक (बोनस) भी मिलेगा। उन्होंने परिपत्र में अधिकारियों को यह भी ध्यान रखने के निर्देश दिए हैं कि तेन्दूपत्ता भण्डारण के लिए आरक्षित गोदामों का उपयोग किसी अन्य प्रयोजन के लिए नहीं किया जाए। वर्षा ऋतु शुरू होने के पहले शत-प्रतिशत भण्डारण जरूरी है।
मुख्य सचिव ने परिपत्र में लिखा है कि जिन अधिकारियों और कर्मचारियों की ड्यूटी संग्रहण कार्य के सुचारू संचालन के लिए लगाई गई है, वे सभी अपने दायित्वों का निर्वहन करें, ताकि संग्राहकों को समय पर उनके पारिश्रमिक का सही-सही भुगतान हो और तेन्दूपत्ते का अवैध संग्रहण भी न होने पाए। छत्तीसगढ़ राज्य सहकारी लघु वनोपज संघ के प्रबंध संचालक श्री मुदित कुमार सिंह ने भी चालू वर्ष 2018 के तेन्दूपत्ता संग्रहण से जुड़ी तैयारियों के लिए सभी 31 जिला वनोपज सहकारी यूनियनों के प्रबंध संचालकों को परिपत्र भेजा है, जिसमें उन्हें संग्रहण, भण्डारण और पारिश्रमिक भुगतान के संबंध में निर्देश दिए गए हैं। राज्य लघु वनोपज सहकारी संघ के एक अन्य परिपत्र में जिला वनोपज सहकारी यूनियनों के प्रबंध संचालकों से कहा गया है कि प्राथमिक वनोपज सहकारी समितियों के प्रबंधक, क्रेता और पोषक अधिकारी अपने कार्य क्षेत्र का निरीक्षण कर तेन्दूपत्ता तोड़ने की तारीख के बारे में संयुक्त रूप से निर्णय लेंगे। संग्रहण केन्द्रों और गोदामों में पत्तों की सुरक्षा के लिए भी अधिकारियों को जरूरी उपाय सुनिश्चित करने के निर्देश दिए गए हैं।

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