तकनीकी गड़बड़ी के बाद देश का पहला निजी नौवहन उपग्रह का प्रक्षेपण हुआ विफल

तकनीकी गड़बड़ी के बाद देश का पहला निजी नौवहन उपग्रह का प्रक्षेपण हुआ विफल
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नई दिल्ली: पहली बार निजी क्षेत्र के सहयोग से आठवें नौवहन उपग्रह के प्रक्षेपण के भारत के मिशन को उस वक्त झटका लगा जब ध्रुवीय रॉकेट से सटीक उड़ान भरने के बावजूद यह तकनीकी गड़बड़ी की वजह से विफल हो गया. विफल मिशन को दुर्घटना करार देते हुये भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के अध्यक्ष किरन कुमार ने कहा कि आईआरएनएसएस-1एच से हीट शील्ड अलग नहीं हुआ. इसके फलस्वरूप ध्रुवीय उपग्रह प्रक्षेपण यान-पीएसएलवी-सी39 के चौथे चरण में उपग्रह फंस गया. कुमार ने कहा कि यह प्रक्षेपण मिशन सफल नहीं हुआ. प्रक्षेपण यान के सभी तंत्रों ने जहां शानदार तरीके से काम किया, हमसे एक दुर्घटना हुई. हीट शील्ड अलग नहीं हुआ.

पहली बार उपग्रह के संयोजन और प्रक्षेपण में सक्रिय रूप से निजी क्षेत्र को लगाया गया था. इससे पहले निजी क्षेत्र की भूमिका उपकरणों की आपूर्ति तक सीमित थी. ध्रुवीय उपग्रह प्रक्षेपण यान (पीएसएलवी) रॉकेट को लेकर इसरो को लगा यह दुर्लभ झटका सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से गुरुवार की शाम 7 बजे पीएसएलवी सी-39 के बिल्कुल सही तरीके से उड़ान शुरू करने के थोड़ी देर बाद आया. इससे पहले यह यान 24 साल पहले एक मात्र विफल उड़ान के बाद से लगातार 39 बार सफल प्रक्षेपण करा चुका है.

इससे पहले 20 सितंबर, 1993 में पहली उड़ान पीएसएलवी-डी1 सुदूर संवेदी उपग्रह आईआरएस-1ई को कक्षा में प्रक्षेपित करने में विफल रहा था.

गुरुवार को पीएसएलवी प्रक्षेपण इस साल का तीसरा प्रक्षेपण था और रॉकेट के उड़ान भरकर चौथे चरण में पहुंचने तक सबकुछ सामान्य लग रहा था जहां इसे उपग्रह को कक्षा में स्थापित करना था. हालांकि अपेक्षित क्रम पूरा नहीं हुआ और मिशन निदेशक और इसरो के दूसरे वरिष्ठ वैज्ञानिकों को व्यथित देखा गया जो बता रहा था कि सबकुछ सही नहीं है. मिशन डायरेक्टर के हीट शील्ड के अलग नहीं होने की घोषणा करने के बाद किरन कुमार ने आधिकारिक तौर पर मिशन के असफल होने की घोषणा की.

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