मोदी ने चीनी राष्ट्रपति से कहा- आतंकवाद पर मतभेद नहीं हो सकते

मोदी ने चीनी राष्ट्रपति से कहा- आतंकवाद पर मतभेद नहीं हो सकते
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बेनॉलिम (गोवा) : भारत ने शनिवार को चीन से स्पष्ट तौर पर कहा कि आतंकवाद से मुकाबले के मुद्दे पर देशों के बीच मतभेद नहीं हो सकते। भारत ने जैश-ए-मुहम्मद के सरगना मसूद अजहर को संयुक्त राष्ट्र की ओर से प्रतिबंधित करने की राह में बीजिंग की ओर से अटकाए जा रहे रोड़े पर भी अपनी चिंताएं चीन के सामने रखीं।

अजहर को प्रतिबंधित कराने के भारत के कदम पर चीन की ओर से लगाई गई रोक की पृष्ठभूमि में हुई द्विपक्षीय मुलाकात के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग को भारत के नजरिए से अवगत कराया। कल होने जा रहे ब्रिक्स शिखर सम्मेलन के इतर हुई द्विपक्षीय मुलाकात के दौरान शी ने खुलासा किया कि परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह (एनएसजी) की सदस्यता के लिए भारत की दावेदारी पर दोनों देशों के बीच दूसरे दौर की वार्ता जल्द ही होगी जिसमें नई दिल्ली को ‘मतभेदों’ में कमी आने की उम्मीद है। शी ने कहा कि वार्ता मददगार होगी।

बैठक के बाद विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता विकास स्वरूप ने पत्रकारों को बताया कि आतंकवाद के मुद्दे पर मोदी ने शी से कहा कि ‘भारत और चीन दोनों आतंकवाद से पीड़ित हैं और क्षेत्र इस समस्या से जूझ रहा है। प्रधानमंत्री ने कहा कि कोई भी देश आतंकवाद से अछूता नहीं है और इस मुद्दे पर हम मतभेद नहीं रख सकते।’ उन्होंने कहा, ‘यूएन 1267 समिति के संदर्भ में खास तौर पर भारत और चीन को अपना सहयोग बढ़ाना चाहिए और साझा जमीन तलाशने की कोशिश करनी चाहिए।’

संयुक्त राष्ट्र की ओर से अजहर को वैश्विक आतंकवादी घोषित कराने के लिए भारत के कदम पर चीन की ओर से तकनीकी रोक लगाने को लेकर भारत अपने इस पड़ोसी देश से नाराज रहा है। हाल में चीन ने इस रोक की अवधि कुछ और महीनों के लिए बढ़ा दी। स्वरूप ने कहा कि दोनों पक्षों ने माना कि आतंकवाद एक ‘अहम मुद्दा’ है। शी ने जोर देकर कहा कि दोनों पक्षों को सुरक्षा वार्ता एवं साझेदारी मजबूत करनी चाहिए।

अफगानिस्तान, म्यांमा और बांग्लादेश में हुई आतंकवादी घटनाओं का हवाला देते हुए चीन में भारत के राजदूत विजय गोखले ने मोदी के हवाले से कहा, ‘भारत और चीन दोनों आतंकवाद के पीड़ित हैं, जो पूरे क्षेत्र को प्रभावित कर रहा है।’ स्वरूप ने कहा कि भारत अजहर को संयुक्त राष्ट्र की ओर से प्रतिबंधित कराने के मुद्दे पर चीन से बातचीत कर रहा है। उन्होंने कहा, ‘हमें अपेक्षा है कि चीन को इसमें तर्क नजर आएगा।’ प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत और चीन को आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में सहयोग बढ़ाना चाहिए, साझा जमीन तलाशनी चाहिए और इससे निपटने के लिए दीर्घकालिक योजना तैयार करनी चाहिए।

शी ने कहा कि भारत और चीन को आतंकवाद निरोधक उपायों में तेजी लानी चाहिए और सुरक्षा वार्ता एवं साझेदारी मजबूत करनी चाहिए। यह घोषणा की गई कि चीनी राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार यांग जायची जल्द ही अपने भारतीय समकक्ष अजित डोभाल से मुलाकात करेंगेॉ।

यह पूछे जाने पर कि क्या अजहर मुद्दे पर चीन का समर्थन हासिल करने के लिए उसे कोई सबूत मुहैया कराया गया है, इस पर स्वरूप ने कहा, ‘कोई सबूत नहीं।’ उन्होंने कहा कि भारत ने चीनी पक्ष को अपनी राय बताने में कोई कसर नहीं छोड़ी है और उसे उम्मीद है कि वे इसमें ‘तर्क देखेंगे।’ एक अन्य सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि चीन हर तरह के आतंकवाद की निंदा करता है और उसके साथ आतंकवाद निरोधक वार्ता हुई है। उन्होंने कहा, ‘इस पर अगले दौर में चर्चा होगी और हमारी अपेक्षा है कि चीन सभी कदम उठाएगा।’

यह पूछे जाने पर कि क्या एनएसजी को लेकर भारत की दावेदारी पर चीन ने अपना रुख नरम किया है, इस पर स्वरूप ने कहा, ‘यह दिखाता है कि वार्ता हुई है, अच्छी रणनीतिक वार्ता हुई है। निश्चित तौर पर इससे मतभेदों में कमी आई है।’ यह पूछे जाने पर कि क्या चीन ने फिर कहा कि एनएसजी में सदस्यता सभी पक्षों की आम राय से मिलती है, इस पर उन्होंने जवाब दिया, ‘नहीं’।

पिछले महीने हथियार नियंत्रण विभाग के महानिदेशक वांग कुन की अगुवाई में एक चीनी प्रतिनिधिमंडल ने इस मुद्दे पर भारतीय अधिकारियों से वार्ता के लिए भारत की यात्रा की थी।

जून महीने में सोल में हुए एनएसजी के महाधिवेशन में अमेरिकी समर्थन के बावजूद चीन ने एनएसजी सदस्यता के लिए भारत की दावेदारी में अड़ंगा लगा दिया था। उस वक्त चीन ने भारत की ओर से परमाणु अप्रसार संधि (एनपीटी) पर दस्तखत नहीं किए जाने को आधार बनाया था।

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