विजयादशमी पर लखनऊ में पाक पर बरसे मोदी
नई दिल्ली :पीएम नरेन्द्र मोदी ने विजयादशमी के अवसर पर लखनऊ में आतंकवाद को मानवता का दुश्मन करार देते हुए कहा कि आतंकवाद को आज जड़ से खत्म करने की जरूरत है और जो आतंकवाद को पनाह देते हैं, उन्हें भी नहीं बख्शा जा सकता।
ऐशबाग रामलीला मैदान पर दशहरा मेले में शामिल होने पहुंचे मोदी ने अप्रत्यक्ष तौर पर पाक पर निशाना साधते हुए कहा, जो आतंकवाद करते हैं, उनको जड़ से खत्म करने की जरूरत पैदा हुई है। जो आतंकवाद को पनाह देते हैं, जो आतंकवाद की मदद करते हैं, अब तो उनको भी बख्शा नहीं जा सकता है।
उन्होंने आतंकवाद के खिलाफ दुनिया के सभी देशों से एकजुट होने की अपील करते हुए कहा, कोई माने कि हम आतंकवाद से बचे हुए हैं तो गलतफहमी नहीं पाले। आतंकवाद की कोई सीमा और कोई मर्यादा नहीं होती। वो कहीं पर जाकर किसी भी मानवतावादी चीजों को नष्ट करने पर तुला हुआ है। इसलिए विश्व की मानवतावादी शक्तियों का आतंकवाद के खिलाफ एकजुट होना अनिवार्य हो गया है।
भाषण की 10 बड़ी बातें
1- मोदी ने कहा, आतंकवाद मानवता का दुश्मन है। प्रभु राम मानवता का प्रतिनिधित्व करते हैं। मानवता के उच्च मूल्यों का प्रतिनिधित्व करते हैं। मानवता के आदर्शों का प्रतिनिधित्व करते हैं और मर्यादाओं को रेखांकित करते हैं और वह विवेक, त्याग, तपस्या की एक मिसाल हमारे बीच छोड कर गये हैं।
2- प्रधानमंत्री ने सवाल किया कि आतंकवाद के खिलाफ सबसे पहले कौन लड़ा था फिर खुद ही जवाब दिया, रामायण गवाह है कि आतंकवाद के खिलाफ सबसे पहले जिसने लडाई लड़ी थी, वो जटायू ने लड़ी थी। एक नारी की रक्षा के लिए रावण जैसी शक्ति के खिलाफ जटायू लड़ता रहा, जूझता रहा। आज भी अभय का संदेश कोई देता है तो वो जटायू देता है, इसलिए सवा सौ करोड़ देशवासी राम तो नहीं बन पाते हैं। लेकिन अनाचार, दुराचार, अत्याचार के सामने हम जटायू के रूप में तो कोई भूमिका अदा कर सकते हैं।
3- उन्होंने कहा, अगर सवा सौ करोड़ देशवासी एक बनकर आतंकवादियों की हर हरकत पर ध्यान रखें और चौकन्ने रहें तो आतंकवादियों का सफल होना बहुत मुश्किल होगा।
4- मोदी ने कहा कि आज से तीस-चालीस साल पहले जब हिन्दुस्तान दुनिया के सामने आतंकवाद के कारण होने वाली परेशानियों की चर्चा करता था तब वह विश्व के गले नहीं उतरता था। वर्ष 1992-93 की घटना का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि वह उस समय अमेरिका के ट्रेड डिपार्टमेंट के स्टेट सेक्रेटरी से बात कर रहे थे। उन्होंने कहा, जब मैं आतंकवाद की बात करता तो वे (स्टेट सेक्रेटरी): बोलते थे कि ये आपकी कानून व्यवस्था की समस्या है, जब 26-11 हमले के बाद सारी दुनिया के गले उतर गया कि आतंकवाद कितना भयंकर है।
5- मोदी ने कहा, आज जब हम रावण वध कर रहे हैं। रावण को जला रहे हैं तो सिर्फ मुझे या आपको नहीं बल्कि पूरे विश्व की मानवतावादी शक्तियों को आतंकवाद के खिलाफ एक होकर लड़ाई लड़नी ही पडे़गी। आतंकवाद को खत्म किए बिना मानवता की रक्षा संभव नहीं है।
6- मोदी ने भारतीय संस्कृति के मूल्यों की भी चर्चा की। उन्होंने कहा, श्रीकृष्ण के जीवन में भी युद्ध था। राम के जीवन में भी युद्ध था। लेकिन हम वो लोग हैं, जो युद्ध से बुद्ध की ओर चले जाते हैं। उन्होंने कहा, समय के बंधनों से, परिस्थिति की आवश्यकताओं से युद्ध कभी कभी अनिवार्य हो जाते हैं लेकिन ये धरती का मार्ग युद्ध का नहीं बल्कि बुद्ध का है। हम हमारे भीतर के रावण को खत्म करने वाले और अपने देश को सुजलाम सुफलाम बनाने के लिए संकल्प करने वाले लोग हैं।
7- मोदी ने खचाखच भरे रामलीला मैदान में बैठी जनता से कहा कि एक तरफ हम आज विजय का पर्व मना रहे हैं तो उसी समय पूरा विश्व आज गर्ल चाइल्ड डे भी मना रहा है। आज मैं जरा अपने आपसे और देशवासियों से पूछना चाहता हूं कि एक सीता माता के ऊपर अत्याचार करने वाले रावण को तो हमने हर वर्ष जलाने का संकल्प किया है क्योंकि उसने सीता का अपहरण किया था लेकिन क्या कभी हमने सोचा है कि जब पूरा विश्व आज गर्ल चाइल्ड डे मना रहा है, तब हम बेटे और बेटी में फर्क करके मां के गर्भ में कितनी सीताओं को मौत के घाट उतार देते हैं। उन्होंने कहा, हमारे भीतर के इस रावण को कौन खत्म करेगा। आज भी 21वीं सदी में क्या मां के गर्भ में बेटियों को मारा जाएगा। एक सीता के लिए जटायू बलि चढ़ सकता है तो हमारे घर में पैदा होने वाली सीता को बचाना हम सबका दायित्व होना चाहिए।
8- प्रधानमंत्री ने कहा कि घर में बेटा पैदा होने पर जितना स्वागत और सम्मान होता है, बेटी पैदा होने पर उससे भी ज्यादा सम्मान और आदर होना चाहिए। इसे हमें अपना स्वभाव बनाना होगा। साथ ही मोदी ने जिक्र किया कि हाल ही में संपन्न ओलंपिक खेलों में देश की बेटियों ने देश का नाम रोशन किया। उन्होंने कहा, बेटे बेटी का फर्क हमारे यहां रावण रूपी मानसिकता का द्योतक है।
9- मोदी ने गंदगी और अशिक्षा से मुक्ति के लिए भी संकल्प लेने का आह्वान किया। हमारे भीतर ऐसी चीजें जो रावण के रूप बिखरी पडी़ हैं, उससे इस देश को मुक्ति दिलानी है।
10- उन्होंने कहा कि चाहे जातिवाद हो या वंशवाद, ऊंच-नीच की बुराई हो, संप्रदायवाद का जुनून हो, ये सारी बुराइयां किसी ना किसी रूप में रावण हैं, इसलिए इनसे मुक्ति पाना हमारा संकल्प होना चाहिए।