रायपुर : मछली पालन को कृषि का दर्जा के साथ मछुआरों की बेहतरी के लिए किए जा रहे कार्य: भूपेश बघेल

रायपुर : मछली पालन को कृषि का दर्जा के साथ मछुआरों की बेहतरी के लिए किए जा रहे कार्य: भूपेश बघेल
Facebooktwitterredditpinterestlinkedinmail

रायपुर : जब से हमारी सरकार बनी समाज के हर वर्ग के चाहे वह कृषक हो या मजदूर हो सभी वर्ग के आर्थिक सशक्तिकरण के लिए कार्य किए गए है। मछुआरा वर्ग की बेहतरी के लिए अनेक कार्य किए। मछली पालन नीति बनाई। हमने मछली पालन को कृषि का दर्जा दिया है, जिससे अब मछुआरों को शून्य प्रतिशत पर ऋण की सुविधा मिल रही है। मत्स्य पालकों को अब कृषकों जैसी तमाम सुविधाएं मिलने लगी है। इससे प्रदेश के मछली पालक मछुवारें तेजी से आगे बढ़ेंगे, जीवन स्तर में भी सुधार आएगा और मत्स्य पालन के क्षेत्र में पूरे देश में आगे बढ़ेंगे। यह बात मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल ने कृषि विश्वविद्यालय के सभागृह में आयोजित धीवर समाज के महासम्मेलन को सम्बोधित करते हुए कही। उन्होंने धीवर समाज को जमीन आबंटन की प्रक्रिया पूर्ण होने के पश्चात समाज के लिए सर्वसुविधायुक्त भवन बनाने के लिए मदद देने की बात कही। मुख्यमंत्री ने धीवर समाज के नवनिर्वाचित पदाधिकारियों को शपथ भी दिलवाई।
मुख्यमंत्री ने कहा कि हमारे राज्य की औसत मत्स्य उत्पादकता 4000 मेट्रिक टन प्रति हेक्टेयर हो चुकी है। प्रगतिशील मत्स्य कृषक उन्नत प्रजातियों का पालन करके प्रति हेक्टेयर 8000 से 10,000 मेट्रिक टन तक उत्पादन करने लगे हैं। छत्तीसगढ़ की प्रकृति और यहां का वातावरण मछली पालन के लिए पूरी तरह अनुकूल है। उन्होंने कहा है कि हमारे राज्य की भौगोलिक स्थिति भी ऐसी है कि यहां मत्स्य पालन व्यवसाय के लिए बहुत संभावनाएं हैं। अब प्रदेश में मछली के लिए अनुकूल वातावरण उपलब्ध है। शासन द्वारा यह प्रयास किया जा रहा है मछली उत्पादन में वृद्धि हो। अब गांवों के साथ-साथ बड़े-बड़े बांधों को भी मछली पालन के लिए प्रयोग किया जाने लगा है। यहां तक की घर के आंगन में भी टैंक बनाकर मछली पालन कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि मछली पालकों को बायो फ्लॉक तकनीकी से मत्स्य पालन को बढ़ावा देने के लिए मत्स्य कृषकों को 7.50 लाख रुपए की इकाई पर 40 प्रतिशत की अनुदान सहायता दिए जाने का प्रावधान किया गया है। मुख्यमंत्री ने कहा कि धीवर समाज के लिए शासन ने जो योजनाएं बनाई है, उसका पॉम्पलेट बनाकर समाज के सदस्यों के घर-घर वितरित करें और सामाजिक बैठकों में इसकी जानकारी दें।
मुख्यमंत्री श्री बघेल ने कहा कि राज्य में मछली पालन के लिए 30,000 हेक्टेयर क्षेत्र में सिंचाई बांधों एवं जलाशयों से नहर के माध्यम से जलापूर्ति आवश्यकता पड़ती थी, इसके लिए मछली पालक किसानों को 10 हज़ार घन फीट पानी के बदले 4 रुपए का शुल्क देना पड़ता था। लेकिन अब उन्हें एक भी पैसा देने की जरूरत नहीं रह गई है। कृषि मंत्री श्री रविन्द्र चौबे ने कहा कि जब से हमारी सरकार बनी मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल की मंशा रही है कि गांवों के मछली पालन करने वाले तालाब स्त्रोतों पर परंपरागत धीवर समाज को प्राथमिकता हो। शासन द्वारा उनके हितों की रक्षा के लिए कार्य किया जा रहा है। कृषि मंत्री ने कहा कि मत्स्य पालकों के लिए मछली पालन नीति बनाई गई है। श्री चौबे ने कहा कि धीवर समाज द्वारा कुछ मुद्दे रखे गए हैं, उसके अनुरूप कार्य किए जाएंगे। यदि किसी गांवों में कोई तालाब निस्तारी के नाम से चिन्हित कर यदि किसी दूसरे वर्ग को आबंटित कर मत्स्य पालन के लिए दिया जाएगा, तो ऐसी स्थिति में संबंधित ग्राम पंचायत के पंच, संरपचों को चिन्हित कर आवश्यक कार्यवाही की जाएगी। उन्होंने मत्स्य नीति में मछुआरों को परिभाषा के संबंध में भ्रम को सुधारने का भी आश्वासन दिया। इस अवसर पर मछुआ कल्याण बोर्ड के अध्यक्ष श्री एम.आर. निषाद ने भी सम्बोधन दिया। इस अवसर पर संसदीय सचिव श्री कुंवर सिंह निषाद, श्री विकास उपाध्याय, छत्तीसगढ़ गृह निर्माण मण्डल के अध्यक्ष श्री कुलदीप जुनेजा तथा अतिथिगण उपस्थित थे।

Facebooktwitterredditpinterestlinkedinmail

watchm7j

Leave a Reply

Your email address will not be published.