एनएमडीसी बना सैप-एस/4 हाना प्लेटफार्म पर ईआरपी लागू करने वाला पहला पीएसई

एनएमडीसी बना सैप-एस/4 हाना प्लेटफार्म पर ईआरपी लागू करने वाला पहला  पीएसई
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हैदराबाद: देश के सबसे बड़े लौह अयस्‍क खनिक एवं नवरत्‍न पीएसई एनएमडीसी ने आज सैप इंटरप्राइज रिसोर्स प्लानिंग (ई आर पी) समाधान के कार्यांवयन की घोषणा की। इस समाधान से सभी व्यवसाय प्रक्रियाओं के एकीकरण तथा समेकन में सहायता मिलेगी तथा इससे प्रचालनगत दक्षता में सुधार होगा।

श्री सुमित देब, सीएमडी, एनएमडीसी ने आज गो-लाइव कार्यक्रम का उद्घाटन किया । इस अवसर पर श्री पी. के. सतपथी, निदेशक(उत्‍पादन), श्री अमिताभ मुखर्जी, निदेशक (वित्त), श्री आलोक कुमार मेहता, निदेशक(वाणिज्‍य), श्री सोमनाथ नंदी, निदेशक(तकनीकी), एनएमडीसी के अन्य वरिष्ठ अधिकारी तथा कार्यांवयन भागीदार एसेंचर और परियोजना प्रबंधन परामर्शदाता (पी एम सी) , डिलॉयट के वरिष्‍ठ अधिकारी उपस्थित थे।

एनएमडीसी ने उत्‍पादन, खरीद, प्रेषण प्रबंधन, मालसूची आबंटन, वित्त, मानव संसाधन प्रबंधन आदि जैसे क्षेत्रों में निष्‍पादन सुधार के लिए ईआरपी को लागू करने का निर्णय लिया । इससे पारदर्शिता बढेगी, व्‍यवसाय में आसानी होगी तथा समग्र रूप से ग्राहक संतुष्टि में सुधार होगा।

इस अवसर पर श्री सुमित देब, सीएमडी, एनएमडीसी ने कहा कि “एनएमडीसी हमेशा से ही आर्थिक एवं सामाजिक मूल्‍यों को आगे बढ़ाने के लिए अग्रणी रहा है तथा साथ ही नवीनतम तकनीकी पहलों को अपनाते हुए संसाधनों के अभीष्टतम उपयोग पर बल देता है। ईआरपी से खनन क्षेत्र में एनएमडीसी को एक विशिष्‍ट स्‍थान मिलेगा। उन्होंने यह भी कहा कि एनएमडीसी सर्वाधिक उन्‍नत प्‍लेटफार्म एसएपी-एस4 हाना पर ईआरपी समाधान इतने व्यापक स्तर पर लागू करने वाला प्रथम सीपीएसई होगा जिसमें खनन तथा इस्पात में औद्योगिक समाधान के लिए 2000 से अधिक पेशेवर प्रयोगकर्ताओं के लाइसेंस होंगे। “

यह परियोजना श्री अमिताभ मुखर्जी, निदेशक(वित्त) के निर्देशन में कार्यान्वित की जा रही है। इस अवसर पर उन्‍होनें कहा कि ईआरपी प्रणाली से केवल एनएमडीसी का भविष्‍य ही सुरक्षित नहीं होगा बल्कि यह स्‍टेकहोल्‍डरों के प्रति हमारी प्रतिबद्धता को प्रदर्शित करेगी तथा हमारे व्यावसायिक प्रचालनों में अधिक पारदर्शिता आएगी। । यह नई ई आर पी प्रणाली भविष्य की डिजिटल पहलों के लिए अत्यधिक महत्वपूर्ण रहेगी। उन्होंने यह भी कहा कि कोविड-19 महामारी के कारण उत्पन्न हुई अतिरिक्त चुनौतियों के बावजूद गो-लाइव को 21 माह में पूर्ण कर लिया गया।

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