वैक्सीन लगने के 10 दिन बाद वालंटियर की मौत, शरीर में था जहर… और उलझ गया मामला
की के तीसरे चरण के ट्रायल में हिस्सा लेने वाले एक वॉलंटियर की भोपाल में मौत हो गई। अब कंपनी ने वालंटियर की मौत पर सफाई दी है। कंपनी ने कहा कि वैक्सीन ट्रायल के लिए वालंटियर को सभी नियमों और शर्तों की जानकारी दी गई थी। इतना ही नहीं, वैक्सीन का डोज देने के बाद अगले सात दिनों तक उसका हालचाल लिया गया था। इस दौरान उसमें किसी भी तरह के प्रतिकूल लक्षण नहीं पाए गए थे।
भारत बायोटेक के अधिकारी ने कहा कि कोरोना वैक्सीन के फेज-3 के ट्रायल के लिए वालंटियर सभी मानदंडों को पूरा कर रहा था। ट्रायल से पहले वह पूरी तरह से स्वस्थ था। जब उसे वैक्सीन की डोज दी गई, उसके बाद भी उसके सेहत पर निगरानी रखी जा रही थी। डोज देने के सात दिनों के बाद जब उसके स्वास्थ्य की जांच की गई तो उसमें कोई प्रतिकूल प्रभाव नहीं देखे गए थे।
10 दिन बाद वालंटियर की मौत
बता दें कि 12 दिसंबर को कोरोना वैक्सीन के तीसरे चरण के ट्रायल के दौरान टीका लगवाने वाले एक वालंटियर की 10 दिन बाद मौत हो गई। शुक्रवार को मृतक के बेटे ने इसका खुलासा किया। इसके बाद ट्रायल करने वाले अस्पताल में हड़कंप मच गया। मृतक के पोस्टमॉर्टम की प्रारंभिक रिपोर्ट में शव में जहर मिलने की पुष्टि की गई है। वहीं ट्रायल सेंटर की ओर से बताया गया है कि मृतक की मौत का वैक्सीनेशन से कोई संबंध नहीं है।
हालांकि, अभी तक यह भी स्पष्ट नहीं हो पाया है कि वालंटियर को वैक्सीन दी गई थी या प्लेसिबो दिया गया था। बता दें कि प्लेसिबो का इस्तेमाल डॉक्टर्स यह जानने के लिए करते हैं कि दवा लेने से किसी शख्स पर मानसिक तौर पर क्या असर होता है। यह कोई दवा नहीं होती और इसका कोई साइड इफेक्ट भी नहीं होता। कोरोना वैक्सीन के तीसरे चरण के ट्रायल के दौरान सिर्फ 50 फीसदी लोगों को वैक्सीन का डोज दिया गया है। बाकी लोगों को प्लेसिबो दिया गया है।
साभार : नवभारत टाइम्स