सिंघु बॉर्डर पर 40 साल के किसान ने खाया जहर, चेन्नै में भी सुसाइड नोट लिख दी जान

सिंघु बॉर्डर पर 40 साल के किसान ने खाया जहर, चेन्नै में भी सुसाइड नोट लिख दी जान
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नई दिल्ली
कृषि कानूनों के खिलाफ पिछले डेढ़ महीने से जारी किसानों के आंदोलन के दौरान एक और किसान ने खुदकुशी कर ली है। सिंघु बॉर्डर पर शनिवार को एक किसान ने जहर खा लिया। गंभीर हालत में उसे अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई। किसान की पहचान पंजाब के फतेहगढ़ साहिब जिले के रहने वाले 40 साल के अमरिंदर सिंह के तौर पर हुई है। उधर शनिवार को ही के समर्थन में चेन्नै में एक शख्स ने खुदकुशी कर ली।

किसान आंदोलन के समर्थन में चेन्नई में भी एक शख्स ने दी जान
शनिवार को एक तरफ जहां दिल्ली में एक किसान ने जहर खाकर खुदकुशी कर ली, वहीं दूसरी तरफ चेन्नई में भी पेरुमल नाम के एक किसान ने अपनी जान दे दी। पेरुमल ने सुसाइड नोट लिखा था जिसमें उसने किसानों के समर्थन में खुदकुशी की बात कही है।

अब तक 40 से ज्यादा किसानों की हो चुकी है मौत
किसान आंदोलन के दौरान अबतक 40 से ज्यादा किसानों की मौत हो चुकी है। कुछ किसानों ने खुदकुशी कर ली तो कुछ की अचानक तबीयत खराब होने से मौत हुई। इससे पहले टिकरी बॉर्डर पर 3 जनवरी को एक 58 साल के किसान की दिल का दौरा पड़ने से मौत हो गई थी।

26 नवंबर से ही दिल्ली की अलग-अलग सीमाओं पर डटे हैं किसान
किसान तीन नए कृषि कानूनों के खिलाफ 26 नवंबर से ही दिल्ली की अलग-अलग सीमाओं पर आंदोलन कर रहे हैं। सरकार और किसानों के बीच अब तक 8 दौर की बातचीत हो चुकी है लेकिन उसका कोई नतीजा नहीं निकला है। किसान कानूनों को वापस लेने पर अड़े हैं, वहीं सरकार कानूनों में संशोधन की बात कह रही है।

किसानों की काउंसलिंग के लिए सिंघु बॉर्डर पर लगा है कैंप
कड़ाके की ठंड में घर से दूर आंदोलन की वजह से तमाम किसान अवसाद का भी शिकार हो रहे हैं। इनके मानसिक बोझ को कम करने के लिए अमेरिकी एनजीओ ‘यूनाइटेड सिख’ ने सिंघु बॉर्डर पर हरियाणा की ओर स्थापित अपने शिविर में किसानों के लिए एक काउंसलिंग सत्र शुरू किया है।

शिविर में एक मनोवैज्ञानिक और स्वयंसेवक सान्या कटारिया ने न्यूज एजेंसी भाषा से कहा कि कई किसानों की इस आंदोलन के दौरान मृत्यु हो गई है और कुछ ने अपनी जान दे दी है। हो सकता है कि उनमें मजबूत दृढ़ संकल्प हो लेकिन अत्यधिक ठंड, कठित परिस्थितियों के साथ ही खेतों में सक्रिय नहीं रहने के कारण जीवन शैली में बदलाव के चलते उनके अवसाद से ग्रस्त होने की आशंका है।

साभार : नवभारत टाइम्स

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