कोरोना: सवालों के घेरे में आया ऑक्‍सफर्ड का टीका, फिर ट्रायल कराएगी एस्ट्राजेनेका

कोरोना: सवालों के घेरे में आया ऑक्‍सफर्ड का टीका, फिर ट्रायल कराएगी एस्ट्राजेनेका
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लंदन
ऑक्सफर्ड यूनिवर्सिटी और दवा कंपनी के टीके के प्रभावी होने को लेकर उठ रहे सवालों के बीच कंपनी के सीईओ पास्‍कल सोरिओट ने ऐलान किया है कि वह दुनियाभर में अत‍िरिक्‍त ट्रायल करा सकते हैं। कोरोना वायरस वैक्‍सीन की प्रभावी क्षमता को परखने के लिए उसका एक लोअर डोज दिया जा सकता है। कंपनी के अंतिम चरण के ट्रायल के परिणामों को लेकर सवाल उठ रहे हैं।

ब्‍लूमबर्ग की रिपोर्ट के मुताबिक ऑक्‍सफर्ड की वैक्‍सीन की लोअर डोज ने फुल डोज के मुकाबले ज्‍यादा बेहतर तरीके से काम किया है। पास्‍कल ने कहा, ‘अब हमें ऐसा लग रहा है कि हमने ज्‍यादा अच्‍छी प्रभावी क्षमता हासिल कर ली है। हमें इसकी पुष्टि करनी होगी, इसलिए हमें एक अतिरिक्‍त अध्‍ययन की जरूरत होगी। उन्‍होंने कहा कि यह एक और अंतरराष्‍ट्रीय अध्‍ययन होगा लेकिन इसे तेजी से किया जा सकेगा और हमें कम लोगों की भी जरूरत होगी।

उधर, ऑक्सफर्ड यूनिवर्सिटी की कोरोना वैक्सीन के ट्रायल डेटा को लेकर उठते सवालों के बीच सीरम इंस्टिट्यूट ऑफ इंडिया ने गुरुवार को कहा कि वैक्सीन पूरी तरह सुरक्षित और असरदार है। पुणे स्थित सीरम इंस्टिट्यूट इस वैक्सीन का उत्पादन और भारत में इसका क्लीनिकल ट्रायल कर रहा है। इंस्टिट्यूट ने कहा कि वैक्सीन सुरक्षित और असरदार है। भारत में इसके ट्रायल को सभी प्रोटोकॉल्स का पालन करते हुए किया जा रहा है।

वैक्‍सीन के असर से जुड़े डेटा पर सवाल खड़े हो गए
सीरम इंस्टिट्यूट का यह बयान ऐसे वक्त में सामने आया है जब एस्ट्राजेनेका और ऑक्सफर्ड यूनिवर्सिटी ने यह स्वीकार किया है कि ट्रायल के दौरान कुछ लोगों पर दी गई वैक्‍सीन की डोज में गलती हुई थी। इससे वैक्‍सीन के असर से जुड़े डेटा पर सवाल खड़े हो गए हैं। अब एक्‍सपर्टस पूछ रहे हैं क्‍या ऐडिशनल टेस्टिंग में यह डेटा बरकरार रहेगा या यह और कम होगा। वैज्ञानिकों का कहना है कि एस्‍ट्राजेनेका से जो चूक हुई है, उससे नतीजों पर उनका भरोसा कम हुआ है।

लोगों से धीरज रखने और न घबराने की अपील करते हुए सीरम इंस्टिट्यूट ने अपने बयान में कहा, ‘एस्ट्राजेनेका-ऑक्सफर्ड वैक्सीन सुरक्षित और कारगर है। अगर इसके सबसे कम असर के नतीजे को भी देखें तो यह 60-70% है जो वायरस के खिलाफ प्रभावी साबित होने योग्य है।’ बयान में कहा गया है कि अलग-अलग उम्र वर्ग और अलग-अलग डोज के नतीजों में थोड़ा अंतर रहेगा लिहाजा धैर्य रखना चाहिए और घबराना नहीं चाहिए।

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