नेपाल की जमीन पर चीन के कब्‍जे का किया खुलासा, नेपाली कांग्रेस के सांसद को 'धमकी'

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काठमांडू
हुमला में नेपाल की जमीन पर चीन के कब्‍जे का खुलासा करने वाले नेपाली कांग्रेस के सांसद और पूर्व केंद्रीय मंत्री जीवन बहादुर शाही को चीन ने बेहद धमकाने वाले अंदाज में जवाब दिया है। शाही के खुलासे के बाद चीन ने न केवल इसका विरोध करते हुए पक्षपातपूर्ण बताया बल्कि काठमांडू में चीन के दूतावास ने नेपाली कांग्रेस को पत्र भी लिख डाला। शाही ने कहा कि चीनी कब्‍जे का खुलासा करने के बाद वह खुद को संकट में महसूस कर रहे हैं। यही नहीं अगर मुझे कुछ हुआ तो इसके लिए चीन जिम्‍मेदार होगा।

चीन ने जहां शाही के आरोपों का खंडन किया है, वहीं नेपाल सरकार ने अभी तक इस पर अपना बयान नहीं दिया है। सबसे रोचक बात यह है कि बिना मौके पर गए ही नेपाल सरकार ने कहा है कि नेपाली जमीन पर कोई अवैध कब्‍जा नहीं हुआ है। नेपाली न्‍यूज वेबसाइट खबर ह‍ब से बाचतीत में शाही ने नेपाल और चीन की सरकार को चुनौती दी कि वे हुमला में कब्‍जे की खबर को गलत साबित करके दिखाएं।

‘नेपाली कांग्रेस और चीन के बीच संबंध संकट में पड़ जाएगा’
शाही ने कहा कि हमने पर्याप्‍त सबूतों और मौके पर जाकर चीन के कब्‍जे की रिपोर्ट तैयार की थी। चीन के दूतावास की ओर से भेजा गया पत्र राजनयिक नियमों के खिलाफ था। मैंने पत्र में देखा है कि मेरे ऊपर आधारहीन रिपोर्ट तैयार करने का आरोप लगाया गया है। साथ ही कहा गया है कि इससे नेपाली कांग्रेस और चीन के बीच संबंध संकट में पड़ जाएगा। साथ ही नेपाल चीन के बीच संबंधों पर बुरा असर पड़ेगा।

नेपाली सांसद ने कहा क‍ि चीनी दूतावास मौके पर अपने प्रतिनिधि को भेजकर जांच करने की बजाय हमसे ही सवाल पूछ डाले। शाही ने कहा कि अगर दोनों ही देश अपनी संयुक्‍त जांच टीम मौके पर भेजे तो सत्‍य सामने आ सकता है। उन्‍होंने कहा कि जिस तरह की भाषा का इस्‍तेमाल चीन के सरकारी अखबार ग्‍लोबल टाइम्‍स ने किया और चीनी दूतावास के पत्र की भाषा से मैं बहुत ज्‍यादा संकट में महसूस कर रहा हूं। मैं फिर दोहराना चाहता हूं कि अगर मुझे कुछ हुआ तो उसके लिए चीन जिम्‍मेदार होगा।

ओली के खिलाफ आर-पार की लड़ाई की तैयारी
जीवन बहादुर शाही ने नेपाली वेबसाइट खबरहब से बातचीत करते हुए उन्होंने कहा कि हुमला मेरा गृह जिला है। मैं यहां जमीन पर अतिक्रमण के बारे में विस्तृत जानकारी रखता हूं। हमने सरकार को सूचित किया था कि चीन ने नेपाल की भूमि पर अतिक्रमण किया है और यहां तक कि पिलर 12 पर हमारी सीमा रेखा पार करने वाली संरचनाओं का निर्माण भी शुरू कर दिया है।

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