पोलैंड: अदालत ने लगाया गर्भपात पर प्रतिबंध, सड़कों पर उतरे हजारों लोग

पोलैंड: अदालत ने लगाया गर्भपात पर प्रतिबंध, सड़कों पर उतरे हजारों लोग
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वॉरसॉ
पोलैंड में अबॉर्शन (गर्भपात) पर करीब पूरी तरह से बैन लगाए जाने के फैसले के खिलाफ विरोध प्रदर्शन तेज हो गए हैं। कोरोना की महामारी के बावजूद हजारों लोग शुक्रवार को सड़कों पर उतरे और इस फैसले का विरोध किया। प्रदर्शनकर्ताओं ने कई शहरों में रैलियां निकालीं। पोलैंड की संवैधानिक अदालत ने गुरुवार को फैसला दिया था कि गर्भपात की इजाजत देने वाला मौजूदा कानून जिंदगी की रक्षा करने में असमर्थ है। इस कानून में ऐसे भ्रूण को गिराने की इजाजत थी जो सही से विकसित न हुआ हो।

लग गया है बैन
इस फैसले के बाद देशभर में विरोध प्रदर्शन शुरू हो गए। फेडरेशन ऑप विमिन ऐंड फैमिली प्लानिंग की हेड क्रिस्टीना काकपुरा ने कहा कि इस फैसले से पोलैंड में गर्भपात पर बैन लग गया है क्योंकि देश में करीब 98% वैध गर्भपात सही से विकसित न हुए भ्रूणों के होते हैं। उन्होंने कहा कि यह पोलैंड सरकार की ओर से आधी आबादी के प्रति एक शर्मनाक फैसला है।

‘महिला अधिकारों के लिए काला दिन’
कोर्ट के फैसले की काउंसिल ऑफ यूरोप ने भी निंदा की है। इस मानवाधिकार संगठन की हेड दुंजा मिहाटोविक ने इसे महिला अधिकारों के लिए एक काला दिन करार दिया है। यूरोपियन पीपल्स पार्टी के अध्यक्ष डोनाल्ड टस्क ने इस मुद्दे के समय को राजनीतिक चालबाजी कहा है। उन्होंने कहा कि कोरोना की महामारी के वक्त गर्भपात का मुद्दा उठाना और यह फैसला देना पागलपन है।

दो लाख अवैध गर्भपात
देश की दक्षिणपंथी लॉ ऐंड जस्टिस (PiS) पार्टी यही फैसला चाहती थी जो कोर्ट ने दिया है। अब से गर्भपात की इजाजत सिर्फ रेप के केस में होगी या ऐसे केस में जहां मां की जान को खतरा हो। पोलिस प्रेसिडेंशी ऐंड आर्कबिशप स्टैनिसलॉ गडेकी ने इस फैसले का स्वागत किया है। बता दें कि पोलैंड की संवैधानिक अदालत सरकार ने ही बनाई है। देश में हर साल दो हजार से कम गर्भपात होते हैं लेकिन महिला अधिकार संगठनों का दावा है कि करीब दो लाख गर्भपात या तो अवैध तरीके से होते हैं या विदेश में कराए जाते हैं।

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