आतंकियों को पालना पाक को पड़ा भारी, ढाई साल में 25 अरब डॉलर का घाटा

आतंकियों को पालना पाक को पड़ा भारी, ढाई साल में 25 अरब डॉलर का घाटा
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इस्लामाबाद
अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भारत को घेरने की फिराक में लगे रहने वाले पाकिस्तान को फाइनैंशल ऐक्शन टॉस्क फोर्स (FATF) की पेरिस में हुई ऑनलाइन बैठक में मुंह की खानी पड़ी। ने एक बार फिर
को ग्रे लिस्ट में ही रखने का ऐलान किया है। यह कोरोना काल में पहले से ही चरमराई पाकिस्तानी अर्थव्यवस्था के लिए एक और बड़ा झटका साबित हो सकता है। इस लिस्ट में रहने से पाक को इस साल दिसंबर तक 25 अरब डॉलर का नुकसान भुगतना पड़ सकता है।

FATF ने सुनाया फैसला
दरअसल, FATF ने कहा है कि पाकिस्तानी सरकार आतंकवाद के खिलाफ 27 सूत्रीय एजेंडे को पूरा करने में विफल रही है। FATF ने यह भी कहा कि पाकिस्तान ने संयुक्त राष्ट्र के प्रतिबंधित आतंकवादियों के खिलाफ भी कोई ठोस कार्रवाई नहीं की है। इससे पहले भारत भी पाकिस्तान को अपनी सरजमीं पर आतकंयों को पनाह देने और भारत पर आतंकी हमलों को अंजाम देने में मदद करने के लिए दुनिया के सामने बेनकाब कर चुका है।

हर साल 10 अरब डॉलर का नुकसान
ऐसा अंदाजा लगाया जा रहा है कि FATF के फैसले से इस साल दिसंबर तक पाकिस्तान को 25 अरब डॉलर का नुकसान हो चुकेगा। पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने पिछले साल यह बताया था कि देश को ग्रे लिस्ट में रहने से हर साल 10 अरब डॉलर का नुकसान होता है। वह जून 2018 से इस लिस्ट में है और दिसंबर 2020 तक ढाई साल हो जाएंगे। ऐसे में यह साफ है कि आतंक के खिलाफ लड़ाई का नाटक करने वाले पाकिस्तान को अब उसकी कीमत चुकानी पड़ेगी।

ग्रे लिस्ट से नुकसान क्यों?
पाकिस्तान को ग्रे लिस्ट में रखे जाने से इंटरनैशनल मॉनिटरिंग फंड (आईएमएफ), विश्व बैंक और यूरोपीय संघ से आर्थिक मदद मिलना मुश्किल होगा जबकि इस वक्त, खासकर कोरोना वायरस के चलते प्रधानमंत्री इमरान खान पहले ही अंतरराष्ट्रीय समुदाय से मदद मांग चुके हैं। इससे जाहिर है उसकी अर्थव्यवस्था पर नकारात्मक असर पड़ेगा।

क्या है FATF?
FATF ग्लोबल मनी लॉन्डरिंग और आतंकी फंडिंग वॉचडॉग है। कई सरकारों के बीच काम करने वाले संगठन ने अंतरराष्ट्रीय मानक तय कर रखे हैं ताकि अवैध गतिविधियां रोकी जा सकें और समाज को जो नुकसान हो रहा है उससे बचा जा सके। FATF बड़े स्तर पर बर्बादी के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले हथियारों की फंडिंग रोकने के लिए भी काम करता है। यह ऐसे देशों की जिम्मेदारी भी तय करता है जो मानकों का पालन नहीं करते हैं।

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