चीन ने US को धमकाया, बोला- आग से न खेलो

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ताइवान को लेकर अमेरिका और चीन में तल्खियां लगातार बढ़ती जा रही है। 41 साल बाद अमेरिकी प्रतिनिधिमंडल के ताइवान पहुंचने पर चीन ने कड़ी प्रतिक्रिया देते हुए विश्वासघात करार दिया था। उधर ताइवान दौरे पर पहुंचे अमेरिकी स्वास्थ्य मंत्री एलेक्स अजार ने कोरोना वायरस को लेकर चीन की जमकर आलोचना की। उन्होंने ताइवान के दिवांगत पूर्व राष्ट्रपति ली तेंग हुई को श्रद्धांजलि भी दी।

अमेरिकी प्रतिनिधिमंडल के ताइवान पहुंचने और आपसी संबंधों को मजबूत करने के फैसले पर चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता झाओ लिजान ने कहा कि चीन के मूल हितों को प्रभावित करने को लेकर अमेरिका को किसी भ्रम में नहीं रहना चाहिए। उन्होंने कड़े शब्दों का प्रयोग करते हुए कहा कि जो लोग आग से खेल रहे हैं वो खुद इसमें जल जाएंगे।

वहीं, ताइवान को चेतावनी देते हुए चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा कि वे विदेशियों की अधीनता स्वीकार नहीं करें और ना ही विदेशियों की मदद पर भरोसा करें। ताइवान चीन का अभिन्न अंग है और अगर उसने स्वतंत्र होने का ऐलान किया तो इसका सैन्य जवाब दिया जाएगा।

कुछ दिनों पहले ही चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी के वरिष्ठ कर्नल रेन गुओकियांग ने चेतावनी देते हुए कहा कि हमारे पास ताइवान पर सैन्य कार्रवाई करने के अलावा कोई रास्ता नहीं बचा है। उन्होंने ट्रंप सरकार की आलोचना करते हुए कहा कि अमेरिकी सेना को ताइवान के साथ युद्धाभ्यास के लिए भेजना चीन को चुनौती देना है।

चीनी कर्नल ने कहा कि अमेरिका के इस फैसले से दोनों देशों के संबंधों पर नकारात्मक असर पड़ सकता है। इससे न केवल ताइवान स्ट्रेट में शांति को खतरा होगा बल्कि यह पूरी तरह से गलत और अस्वीकार्य है। उन्होंने अमेरिकी सरकार से कहा कि वे अपनी गलती को तुरंत स्वीकारें और ताइवान के साथ किसी भी तरह के आधिकारिक और सैन्य संपर्क को रोकें। उन्होंने अमेरिका से वन चाइना पॉलिसी को मानने की भी अपील की।

चीनी कर्नल ने चेतावनी देते हुए कहा कि हमारे पास ताइवान की स्वतंत्रता रोकने के लिए दृढ़ इच्छाशक्ति, पूर्ण आत्मविश्वास और पर्याप्त क्षमता है। हम पूरी तरह से राष्ट्रीय संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता की रक्षा करेंगे। इसके लिए ताइवान पर सैन्य कार्रवाई करने से भी हम पीछे नहीं हटेंगे।

1949 में माओत्से तुंग के नेतृत्व में कम्युनिस्ट पार्टी ने चियांग काई शेक के नेतृत्व वाले कॉमिंगतांग सरकार का तख्तापलट कर दिया था। जिसके बाद चियांग काई शेक ने ताइवान द्वीप में जाकर अपनी सरकार का गठन किया। उस समय कम्यूनिस्ट पार्टी के पास मजबूत नौसेना नहीं थी। इसलिए उन्होंने समुद्र पार कर इस द्वीप पर अधिकार नहीं किया। तब से ताइवान खुद को रिपब्लिक ऑफ चाइना मानता है।

चीन ताइवान को अपना अभिन्न अंग मानता है। चीनी कम्युनिस्ट पार्टी इसके लिए सेना के इस्तेमाल पर भी जोर देती आई है। ताइवान के पास अपनी खुद की सेना भी है। जिसे अमेरिका का समर्थन भी प्राप्त है। हालांकि ताइवान में जबसे डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव पार्टी सत्ता में आई है तबसे चीन के साथ संबंध खराब हुए हैं।

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