चीन की US को चेतावनी, होगा सबका नुकसान

चीन की US को चेतावनी, होगा सबका नुकसान
Facebooktwitterredditpinterestlinkedinmail

पेइचिंग
कोरोना वायरस को लेकर चीन और अमेरिका के बीच में तनाव जारी है। इसी बीच चीन के प्रधानमंत्री ली किकियांग ने कहा है कि दोनों देशों को अपनी असहमतियों को दूर करना चाहिए और एक-दूसरे के ‘मुख्य हितों’ का सम्मान करना चाहिए। उन्होंने ट्रंप प्रशासन को चेतावनी दी कि दोनों बड़ी अर्थव्यवस्थाओं को पटरी से उतारने के प्रयास से किसी का भी भला नहीं होगा और पूरी दुनिया को नुकसान होगा।

कई मुद्दों पर जारी है तनातनी
प्रधानमंत्री ने कहा कि घातक वायरस के स्रोत पर स्पष्ट विचार होना जरूरी है क्योंकि वह विज्ञान के आधार पर इसका पता लगाने के प्रयासों का समर्थन करते हैं। व्यापार, कोरोना वायरस महामारी की उत्पत्ति, हॉन्ग-कॉन्ग में नए सुरक्षा कानून को लेकर चीन की कार्रवाई और विवादित दक्षिण चीन सागर में चीन के आक्रामक सैन्य रवैये को लेकर अमेरिका की चीन के साथ तनातनी चल रही है।

ट्रंप ने दी थी चेतावनी
चीन के संसद सत्र के अंत में ली ने वॉशिंगटन और बीजिंग के बीच बढ़ते तनाव के बारे में सवालों का जवाब दिया। दरअसल, अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने चेतावनी दी थी कि वह दुनिया की दो बड़ी अर्थव्यवस्थाओं के बीच संबंध तोड़ देंगे। चीन में सत्तारूढ़ कम्युनिस्ट पार्टी में राष्ट्रपति शी चिनफिंग के बाद ली दूसरे नंबर के नेता हैं। ली ने कहा, ‘यह सच है कि वर्तमान में चीन और अमेरिका के बीच संबंधों में नयी समस्याएं और चुनौतियां आ गई हैं।’

पूरी दुनिया का नुकसान
उन्होंने स्वीकार किया कि दोनों शीर्ष अर्थव्यवस्थाओं के बीच संबंध कठिन दौर से गुजर रहा है। उन्होंने कहा, ‘चीन-अमेरिका के बीच संबंधों को ठीक करना दोनों देशों और पूरी दुनिया के लोगों के हित में है।’ ली ने कहा, ‘हमारे आर्थिक व्यवसाय ने लंबा सफर तय किया है और इससे दोनों पक्षों को काफी लाभ पहुंचा है।’ उन्होंने कहा कि दोनों अर्थव्यवस्थाएं एक-दूसरे से जुड़ी हुई हैं। दोनों देशों के बीच शीत युद्ध जैसी स्थिति पैदा होने और अर्थव्यवस्था को पटरी से उतारने की चेतावनी पर ली ने कहा, ‘हमने शीत युद्ध की मानसिकता को छोड़ दिया है और दोनों बड़ी अर्थव्यवस्था के बीच संबंध तोड़ने से किसी पक्ष का भला नहीं होगा और पूरी दुनिया को नुकसान होगा।’

बाजार पर छोड़ें उसके फैसले
चीन में अमेरिकी कंपनियों द्वारा व्यापक निवेश का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि इस तरह के निर्णय बाजार और व्यवसाय पर छोड़ दिया जाना चाहिए और इसमें सरकार को हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए। उन्होंने कहा कि सामाजिक व्यवस्था और ऐतहासिक पृष्ठभूमि को देखते हुए दोनों देशों के बीच मतभेद हो सकता है। उन्होंने कहा, ‘यह काफी महत्वपूर्ण द्विपक्षीय संबंध है। दोनों देश संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद् में स्थायी सदस्य हैं। कई क्षेत्रों में दोनों देशों को एक-दूसरे के साथ काम करना चाहिए और कर सकते हैं।’

Facebooktwitterredditpinterestlinkedinmail

WatchNews 24x7

Leave a Reply

Your email address will not be published.