‘सत्याग्रह’ की तरह ‘स्वच्छाग्रह’ की जरूरत

‘सत्याग्रह’ की तरह ‘स्वच्छाग्रह’ की जरूरत
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नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने समाज में स्वच्छता का भाव पैदा करने की जरूरत पर बल देते हुए शुक्रवार को कहा कि जिस तरह से सत्याग्रह से ब्रिटिश शासन से आजादी मिली थी उसी तरह से ”स्वच्छाग्रह” आंदोलन चलाकर देश को गंदगी और कूड़े-कचरे से मुक्त किया जा सकता है।
पाक अधिकृत कश्मीर (पीओके) पर सैन्य कार्रवाई के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पहली बार दिल्ली के विज्ञान भवन में नजर आए। दरअसल, पहले से तय कार्यक्रम के मुताबिक पीएम मोदी विज्ञान भवन में आयोजित स्वच्छ भारत अभियान के कार्यक्रम में शिरकत करने पहुंचे थे। पीएम एक खुशनुमा मिजाज के साथ कार्यक्रम में आए थे, जहां उन्होंने भारतीयों और उनकी सफाई की आदतों पर चुटकी ली।
पीएम मोदी ने भारत स्वच्छता सम्मेलन की शुरूआत की। मोदी ने कहा, जब मैं स्वच्छता अभियान की बात कर रहा था तो किसी ने लिखा- वह रेलवे में सफर कर रहा था और पूरे डिब्बे में गंदगी थी। मैने लिखा- रेलवे में डस्टबिन बनाइए। हर चीज पर ध्यान देंगे तो परिणाम मिल सकता है। पीएम ने कहा कि एक समय था जब स्कूल में श्रमदान करना जरूरी समझा जाता था। इन दिनों किसी ने सफाई की तो 24 घंटे शुरू हो जाएगा कि स्कूल वाले सफाई करवा रहे हैं। (शेष पृष्ठ ८ पर)
पीएम ने पुराने दिनों की याद दिलाते हुए कहा कि मैं गुजरात में था… तब राजनीति में नही था। मोरबी में बाढ़ आई थी। सैंकड़ों मर गए थे। मैं वहां जाकर सफाई वगैरह करता था, चूंकि वॉलनटियर था। 3-4 साल बाद वहां के एक गांव में गया। जब मैं दोबारा गया तो हर टायलेट में बकरी बंधी थी। मैंने कहा ये क्या कर दिया? पीएम ने अपील की कि लोगों का स्वभाव बनाने का काम करें।
पीएम ने इसके बाद शहर का उदाहरण देते हुए कहा, मै जहां से एमएलए बनता था वहां एक नाला था। उस नाले में पानी नजर नहीं आता था। सब लोगों को कूड़े के लिए वही उत्तम जगह लगती थी। उस गंदगी के कारण उस इलाके के फ्लैट अगर 10 लाख कीमत के थे तो वह 1.5 लाख में बिक जाते थे। उसकी सफाई के बाद फ्लैट्स की कीमत 15-20 लाख तक पहुंच गई।
फूलों से बनती है अगरबत्ती
उन्होंने कहा कि कुछ मंदिर होते हैं जहां बड़ी मात्रा में फूल आते हैं। कभी वो फूल गंदगी में कन्वर्ट हो जाते हैं। कई लोग उस वेस्ट में से अगरबत्ती बनाने का काम करते है। कई लोग कम्पोज बनाने लग जाते हैं। बस थोड़ा सा ध्यान देना पड़ता है। हम इसे वेस्ट नहीं मानें, वेल्थ मानकर अपडेट करें। स्वच्छता तो बाइप्रॉडक्ट हो जाएगी।लास्टिक वेस्ट से सड़क निर्माण
पीएम ने कहा कि प्लास्टिक को आप रोड बनाने में यूज कर सकते हैं। 7 से 10 प्रतिशत मिक्स करें। लोगों को रोजी मिलेगी। डामर बचेगा और रोड भी बन जायेगी। पुराने जमाने में पुराने कपड़े में से रजाई बना दी जाती थी। बाद में सफाई के लिए पोछा बना दिया जाता था। रियूज रिसाइकिल, ये हमारा मूल स्वभाव था।सफाई की आदत
मोदी ने कहा कि हम लोगों का स्वभाव है। 20 साल पुराना स्कूटर हो, फिर भी सुबह उठकर स्कूटर साफ करते हैं लेकिन बस में जाते हैं तो धीरे से हाथ सीट के नीचे जाता है। अंगुली से धीरे-धीरे सीट में छेद कर जाते है। यहां बैठे लोगों में से कोई नहीं होगा जिसने ये काम नहीं किया हो। क्योंकि वो स्कूटर मेरा है और बस सरकार की है। ये भूल जाते है सरकार भी हमारी है। जिस दिन मानेंगे सरकार हमारी है उस दिन स्वभाव बदलेगा।
नेता पीछे, जनता आगे
मैं नही मानता कि किसी को गंदगी पंसद होती है, लेकिन स्वच्छता का स्वभाव नहीं बनता है। ये ऐसा कॉन्ट्रास्ट है। उस दूरी को कम करना है। गंदगी के प्रति नफरत होनी चाहिए। गंदगी नजर आये तो मन अस्वस्थ हो जाना चाहिए। बड़े बड़े लोग कहते हैं कि आपका ऑटोग्राफ चाहिए। मैं कहता हूं क्या करोगे? कहते हैं पोता है उसे चाहिए। बालक मन में ये संस्कार होते जा रहे हैं। इसका मतलब ये स्वच्छता अभियान कम समय में जड़े जमाने में सफल हुआ है। इन दिनों राजनेता पीछे छूट गये हैं। जनता बहुत आगे निकल चुकी है।

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