रमन सिंह जी अपने ही भ्रष्टाचार की जांच कराने के लिए सीबीआई से कराने के लिए इतने आतुर क्यों हैं?

रमन सिंह जी अपने ही भ्रष्टाचार की जांच कराने के लिए सीबीआई से कराने के लिए इतने आतुर क्यों हैं?
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रायपुर/12 फरवरी 2020। प्रदेश कांग्रेस के महामंत्री एवं संचार विभाग के अध्यक्ष शैलेश नितिन त्रिवेदी ने पत्रकारों को संबोधित करते हुये कहा कि आज समाचार पत्रों में डॉ. रमन सिंह जी का एक बयान देखने को मिला। जिसमें उन्होंने निशक्तजन घोटाले की जांच सीबीआई के द्वारा ही कराए जाने पर जोर दिया है। रमन सिंह जी अपने ही भ्रष्टाचार की जांच कराने के लिए सीबीआई से कराने के लिए इतने आतुर क्यों हैं? अपने ही भ्रष्टाचार की सीबीआई जांच कराने की इतनी आतुरता क्यों है रमन सिंह जी को? ये कांग्रेस पार्टी का रमन सिंह जी से सवाल है। रमन सिंह जी की सरकार में घोटाला हुआ। रमन सिंह जी के हस्ताक्षर वाली नोटशीट के समाचार भी उजागर हुये हैं। सबसे पहले अन्य बड़े घोटालों के साथ-साथ एनजीओ घोटाले में भी अपनी संलिप्तता के लिए रमन सिंह जी को छत्तीसगढ़ की जनता से माफी मांगना चाहिए। जिस बड़ी राशि की अफरा-तफरी और घोटाला हुआ है। उस राशि को जनता के खजाने में जमा करना चाहिए। उसके बाद रमन सिंह जी बयानबाजी करें तो बेहतर होगा। रमन सिंह जी को अपनी सरकार में हुए निशक्तजन घोटाले में अपनी भूमिका को स्पष्ट करनी ही चाहिए, यह कांग्रेस पार्टी मांग करती है। इतने बड़े घोटाले के हो जाने के बावजूद क्या मुख्यमंत्री रमन सिंह को पता नहीं होगा? रमन सिंह जी कैसा सरकार चला रहे थे?

यह संभव ही नहीं है। रमन सिंह जी की जानकारी में यह घोटाला हुआ है और इस घोटाले में रमन सिंह जी की संलिप्तता है। रमन सिंह जी सोच रहे हैं कि सीबीआई जांच होगी तो अपने प्रभाव का उपयोग करके इस घोटाले से बच जाएंगे। जबकि राज्य स्रोत निशक्तजन केंद्र की स्थापना में मुख्यमंत्री के रूप में रमन सिंह ने ही डॉक्टर सच्चिदानंद जोशी, प्रफुल्ल विश्वकर्मा, सुधीर जैन और दामोदर गणेश वापट का मनोनयन किया था। अब जब दस्तावेज सार्वजनिक हो गए हैं तो अपने आप को बचाने के लिए रमन सिंह जी बयानबाजी का सहारा ले रहे हैं। सीबीआई के प्रति रमन सिंह के मन में नया अनुराग जागा है, नया स्नेह जागा है। अपने ही किए गए भ्रष्टाचार की सीबीआई से जांच की मांग के लिए रमन सिंह जी इतने आतुर हो रहे हैं, इसका कारण सबको पता है। रमन सिंह जी बताएं कि सत्ता से हटने के बाद सीबीआई में उनका इतना विश्वास क्यों जागृत हो गया? 2012 में रमन सिंह जी की सरकार ने राज्य में सीबीआई को जांच से रोकने का आदेश निकाला था। रमन सिंह जी की सरकार ने आदेश निकाला था लेकिन अगर उस आदेश का पालन करने के लिए सरकार के एडवोकेट जनरल अदालत में रिव्यू पीटिशन लगाते है तो रमन सिंह जी उस पर टीका टिप्पणी कर घोटाले में अपनी भूमिका से बचना चाहते हैं। दरअसल रमन सिंह जी का दोहरा चरित्र निशक्तजन घोटाले में बेनकाब हो गया है।

2012 में रमन सिंह सरकार द्वारा आदेश निकाला गया था। छत्तीसगढ़ के एडवोकेट जनरल ने उसी 2012 के आदेश के अनुसार रिव्यू पीटीशन लगाई तो रमन सिंह जी उसको लेकर टीका टिप्पणी कर रहे हैं। हम पूछना चाहते हैं कि जब नान घोटाला हुआ था, हमने इस घोटाले की जांच की सीबीआई जांच की मांग की थी रमन सिंह जी ने इस जांच की मांग को सीबीआई जांच की मांग को नकार दिया था। अदालत में कुछ लोगों के नान घोटाले की सीबीआई जांच को लेकर पीटीशन दायर की थी। रमन सिंह जी की सरकार ने अदालत में भी सीबीआई जांच का विरोध किया था। 25 मई 2013 को जीरम में कांग्रेस नेताओं की पूरी पीढ़ी की शहादत हुई। उनके परिजन लगातार सीबीआई जांच की मांग करते रहे। प्रधानमंत्री मोदी ने 2014 को धमतरी में जो सभा ली थी चुनाव के दौरान उन्होंने जांच की बात कही थी। प्रधानमंत्री मोदी तक ने कहा था कि इस मामले में जांच होगी। विधानसभा में सीबीआई जांच की घोषणा भी की गयी थी। सरकार के द्वारा विधानसभा के पटल में घोषणा की गई थी। लेकिन रमन सिंह सरकार ने सीबीआई जांच नहीं कराई।

जीरम मामले में, नान घोटाले में सीबीआई जांच की मांग करते रहे लेकिन रमन सिंह जी केंद्र में भाजपा की सरकार होने के बावजूद इतने गंभीर विषयों में सीबीआई जांच से बचते रहे।
जहां तक निशक्तजन घोटाले की बात है तो रमन सिंह जी की सरकार ने घोटाले की जांच को रोक कर रखा। कांग्रेस की सरकार ने तो हाईकोर्ट में कहा कि हम जांच करना चाहते हैं। हम अदालत की देखरेख में जांच करना चाहते हैं और रमन सिंह जी ऐसी सरकार पर तथ्यहीन स्तरहीन टीका टिप्पणी कर रहे हैं। अपने गिरेबान में झांक कर देखे रमन सिंह जी। रमन सिंह की सरकार ने इस घोटाले की जांच को रोक कर रखा।
केंद्र की भाजपा सरकार सीबीआई, ईडी से लेकर तमाम केंद्रीय एजेंसियों का राजनैतिक बदला भुनाने के लिए जो दुरुपयोग कर रही है वह किसी से छिपा नहीं है। निशक्तजन घोटाला मामले में तो राज्य के महाधिवक्ता ने अदालत में बहुत स्पष्ट रूप से कहा। मैं अदालत में कही गई महाअधिवक्ता सतीश चंद्र वर्मा जी की बात को कोट कर रहा हूं। हमें जांच से कोई परहेज नहीं है। हम जांच करना चाहते हैं और माननीय न्यायालय की निगरानी में जांच करना चाहते हैं। कोर्ट मानीटर इंवेस्टीगेशन प्रोसेस न्यायालय की देखरेख में कांग्रेस सरकार जांच प्रस्तावित करती हैं तो रमन सिंह जी सरकार पर टीका टिप्पणी कर रहे हैं। सबसे पहले रमन सिंह जी अपने भ्रष्टाचार के लिए, अपनी सरकार में किए गए भ्रष्टाचार के लिए और जो नियुक्तियां रमन सिंह जी के हस्ताक्षर से हुई है, उस भ्रष्टाचार में अपनी भूमिका बताएं। अपने भ्रष्टाचार के लिए माफी मांगे। राज्य के खजाने में वो राशि जो जमा भ्रष्टाचार हुआ है वह राशि जमा करें और उसके बाद इस पर बयानबाजी करें तो ज्यादा बेहतर होगा।

2012 में रमन सिंह जी की सरकार ने एक नियम बनाया था। हर राज्य सरकार को यह अधिकार होता है कि वह अपने राज्य में सीबीआई को जांच करने दे या न करने दें। यह केंद्र राज्य संबंधों के अनुसार तय होता है। रमन सिंह सरकार ने 2012 में सीबीआई को जांच से रोकने का कानून बनाया था। चूंकि रमन सिंह सरकार का बनाया हुआ कानून है और वह भी हमारे सरकार में अभी लागू है। तदनुसार राज्य सरकार ने एडवोकेट जनरल के माध्यम से अदालत में इस पक्ष को रखा। यह राज्य का कानून है और उस पक्ष को रखना राज्य के एडवोकेट जनरल का कर्तव्य है।
प्रदेश कांग्रेस के महामंत्री एवं संचार विभाग के अध्यक्ष शैलेश नितिन त्रिवेदी ने कहा है कि राज्य में सीबीआई जांच से आपत्ति और परेशानी तो रमन सिंह जी को थी। जिन्होंने नान घोटाले की जांच नहीं कराई। जिन्होंने जीरम की जांच नहीं कराई। जिन्होंने सीबीआई जांच नहीं होने देने का नियम बनाया और उल्टा हम पर आरोप लगा रहे हैं। सुपा बोले तो बोले चलनी भी बोले जिसमें 72 छेद।

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