शराब कारोबारी चलाएं चरखा, होगी अच्छी आमदनी: नीतीश कुमार

शराब कारोबारी चलाएं चरखा, होगी अच्छी आमदनी: नीतीश कुमार
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पटना.  मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने बिहार में शराबबंदी के माहौल में खादी को बढ़ावा दिये जाने की अपील की है. राष्ट्रीय चरखा दिवस पर उद्योग विभाग की ओर से अधिवेशन भवन  में आयोजित समारोह में उन्होंने कहा कि कुछ लोग शराबबंदी से आहत हैं. तरह-तरह की बात करते हैं. अब कह रहे हैं कि वे बेरोजगार हो गये. हमने तो पहले ही कहा था कि जो शराब का कारोबार कर रहे थे उन्हें दूध की दुकान दी जायेगी. जो लेना चाह रहे हैं उन्हें मिल भी रही है. शराबबंदी के इस माहौल में खादी को बढ़ावा दिया जा सकता है.

जो लोग शराब का धंधा करते थे, उन्हें चरखा दे दें. कहे कि सूत कातो इससे अच्छी आमदनी होगी. मुख्यमंत्री  ने कहा कि आज खादी रस्म अदायगी ही रह गयी है, लेकिन हम लोग चाहते हैं कि ज्यादा से ज्यादा लोग इसका उपयोग करें. सरकार पूरे तौर पर मदद को तैयार है. खादी की गुणवत्ता, शुद्धता और टिकाऊपन होना चाहिए. इसे प्रचारित किया जाना चाहिए और ब्रांडिंग होनी चाहिए. निफ्ट से खादी के डिजाइन तैयार किये जा रहे हैं. इससे खादी की मांग बढ़ेगी. बिहार के खादी की देश में पहचान बनेगी. डिजाइन ऐसा होगा कि देश के बाहर भी उसकी मांग बढ़ेगी. हम खुद शुद्ध खादी पहनते हैं.

सीएम नीतीश कुमार ने कहा कि गांधी जी के चंपारण सत्याग्रह का 100वां साल है. खादी उद्योग का पुनरुद्धार होना चाहिए. सरकार इसके लिए अलग से नीति भी बना रही है. खादी के संस्थानों का मनोबल ऊंचा करना होगा. मन को गिराने से काम नहीं चलेगा. सरकार की मदद से कुछ साल काम चल जायेगा, लेकिन स्वावलंबी बनना होगा. सरकार की मदद से इतना मजबूत बन जाइए कि बाद में मदद की जरूरत ही न पड़े. मुख्यमंत्री ने कहा कि सरकार ने खादी के विकास में 50 करोड़ का प्रावधान रखा है. इसमें आमदनी बढ़ेगी तो लोग जुड़ेंगे. बिहार में खादी के जो सेंटर हैं, उसका लिस्ट तैयार कर स्थानीय स्तर पर समस्या का समाधान करना होगा. साथ ही खादी बोर्ड के अध्यक्ष पद के लिए किस व्यक्ति को बैठाना है, इसकी सलाह गांधीवादी व गांधी संग्रहालय के रजी अहमद को देनी चाहिए. किसी को तो खादी बोर्ड का अध्यक्ष नहीं बनाया जा सकता है.

चरखा के लिए टेंडर- मुख्यमंत्री ने कहा कि त्रिपुरारी मॉडल चरखा लोगों को देने के लिए उन्होंने घोषणा की थी. पता चला कि उद्योग विभाग ने इसके लिए टेंडर निकाल दिया. एक ही निविदा पड़ी तो उन्हें समझ में ही नहीं आया कि क्या करें. यहां तो अधिकारियों की ही गलती थी. जब त्रिपुरारी मॉडल चरखा लोगों को देना था तो वह एक ही जगह मिल सकता था, कोई दूसरी कपंनी को उस तरह से बनाती नहीं है. ऐसे में सीधे खरीद कर लोगों को बांटना था. 1000 लोगों को त्रिपुरारी मॉडल का चरखा दिया जा रहा है. विभाग का लक्ष्य पांच हजार लोगों को चरखा देना है, लेकिन सरकार इतने में नहीं रुकेगी और इसकी संख्या और बढ़ायी जायेगी.

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